जनवरी में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित महंगाई दर में तेज बढ़ोतरी को देखते हुए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की अर्थव्यवस्था की स्थिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि महंगाई दर की वापसी खतरनाक हो सकती है। रिजर्व बैंक ने कहा है ऐसी स्थिति में मौद्रिक नीति को महंगाई दर के विरुद्ध बनाए रखने की जरूरत है। इससे संकेत मिलता है कि कीमत की स्थिरता लेकर रिजर्व बैंक अपने रुख में ढील नहीं देने वाला है।
रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने मई 2022 से फरवरी 2023 के बीच रीपो रेट में 250 आधार अंक की बढ़ोतरी की है और अब यह 6.5 प्रतिशत पर पहुंच गई है। विश्लेषक अब रीपो रेट को लेकर ठहराव की उम्मीद कर रहे हैं।
मौद्रिक नीति कार्रवाई के असर और आगे के रुख पर रिपोर्ट में कहा गया है कि आने वाले साल में महंगाई की वापसी और इसके कठोर होने की उम्मीद है। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के सांख्यिकीय और बाहरी उपाय संबंधी कदम से जुड़ा करीब हर दूसरा घटक कीमतों के दबाव में वृद्धि के संकेत दे रहा है।
डिस्क्लेमर में कहा गया है कि यह रिपोर्ट डिप्टी गवर्नर माइकल पात्र सहित रिजर्व बैंक के अधिकारियों ने लिखी है और जरूरी नहीं है कि यह केंद्रीय बैंक के विचारों को प्रतिबिंबित करती हो।
रिपोर्ट में कहा गया है कि परिवारों की महंगाई स्थिर है और विनिर्माण कंपनियों को बिक्री व राजस्व वृद्धि में कमी का सामना करना पड़ रहा है। इसमें कहा गया है कि मुनाफे पर दबाव पड़ने की वजह से पूंजीगत व्यय में कमी बनी हुई है। इसमें कहा गया है, ‘इसलिए उपभोक्ताओं के व्यय के मामले में मौद्रिक नीति का रुख महंगाई के विरुद्ध बनाए रखने की जरूरत है। साथ ही कारोबार में निवेश टिकाऊ आधार पर बढ़ाने और वृद्धि को गति देने के लिए ठोस नींव रखने की जरूरत है।’जनवरी 2023 में सीपीआई महंगाई दर 6.5 प्रतिशत की तेज रफ्तार से बढ़ी है, जो दिसंबर 2022 में 5.7 प्रतिशत थी। पिछले महीने की तुलना में सूचकांक 46 आधार अंक बढ़ा है, और विपरीत आधार के असर के कारण (एक साल पहले की समान अवधि में मासिक बदलाव) दिसंबर और जनवरी के बीच प्रमुख महंगाई दर करीब 80 आधार अंक बढ़ी है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि कृषि और संबंधित गतिविधियों को घरेलू खपत और निवेश के रुख का फायदा मिल रहा है। इससे व्यापार और उपभोक्ताओं का भरोसा मजबूत हो रहा है और कर्ज लेने में तेजी देखी जा रही है। रिपोर्ट में केंद्रीय बजट में की गई कुछ घोषणाओ का उल्लेख करते हुए इसे सूरज का सातवां घोड़ा करार दिया गया है। रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि व्यक्तिगत कर में कटौती से जीडीपी में 15 आधार अंक की बढ़ोतरी होगी।
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘बजट में कर में बदलाव करने से परिवारों के हाथ में कम से कम 35,000 करोड़ रुपये जाएंगे। भारत की वास्तविक जीडीपी वृद्धि को 2022-23 में सिर्फ कर घटाए जाने से 15 आधार अंक का बढ़ावा मिलेगा।’
रिपोर्ट में कहा गया है कि पूंजीगत व्यय बढ़ाकर 2023-24 में 3.2 लाख करोड़ रुपये कर दिया गया है। इस बढ़े व्यय से 2023 और 2027 के बीच 10.3 लाख करोड़ रुपये के अतिरिक्त उत्पादन का सृजन होगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि राजकोषीय घाटे को कम करने के सरकार के संकल्प से निजी क्षेत्र के लिए उत्पादक संसाधन मुक्त हो सकता है। इससे पूंजी की लागत भी कम हो सकती है। इसमें कहा गया है, ‘केंद्रीय बजट में कुल व्यय में सकल घरेलू उत्पाद के 0.41 प्रतिशत की कमी आने का अनुमान लगाया गया है। इससे निजी निवेश के लिए संसाधन मुक्त होगा। व्यय बढ़ने से 2023-24 में अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 10 आधार अंक तक बढ़ सकती है।’
रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि अगर कर, पूंजीगत व्यय, वित्तीय घाटे को कम करने के सभी प्रस्ताव प्रभावी तरीके से लागू किए जाते हैं तो भारत की जीडीपी वृद्धि दर 2023-24 में 7 प्रतिशत हो सकती है। फरवरी की मौद्रिक नीति समीक्षा में वित्त वर्ष 24 में जीडीपी की वृद्धि 6.4 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया था।