भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने कहा कि देश में महंगाई तेजी से बढ़ रही है, ऐसे में रिजर्व बैंक एक निश्चित समय पर मानक ब्याज दरों में बढ़ोतरी करेगा। उन्होंने कहा कि राजनेताओं और नौकरशाहों को यह समझ लेना अहम है कि नीतिगत दरों में बढ़ोतरी विदेशी निवेशकों को लाभ पहुंचाने वाली कोई राष्ट्र विरोधी गतिविधि नहीं है, बल्कि आर्थिक स्थिरता में एक निवेश है।
मार्च महीने में देश की प्रमुख महंगाई दर बढ़कर 6.95 प्रतिशत पर पहुंच गई, जो फरवरी में 6.07 प्रतिशत पर थी। प्रमुख महंगाई दर अब रिजर्व बैंक द्वारा तय महंगाई दर की ऊपरी सीमा से लगातार तीसरे महीने ऊपर पहुंची है। हाल में हुई मौद्रिक नीति की बैठक में रिजर्व बैंक ने वित्त वर्ष 23 के लिए महंगाई दर के अनुमान में तेज बढ़ोतरी करते हुए 4.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 5.7 प्रतिशत कर दिया था। इसके अलावा वित्त वर्ष 22 की पहली तिमाही में प्रमुख महंगाई दर 6 प्रतिशत से ऊपर रहने का अनुमान लगाया गया है। साथ ही रिजर्व बैंक ने जून-सितंबर के दौरान उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित महंगाई दर 5.8 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है।
इसी के साथ अर्थशास्त्रियों ने अगले एक साल के दौरान आक्रामक रूप से नीतिगत दर में बढ़ोतरी किए जाने का अनुमान लगाया है।
राजन ने अपने एक नोट में कहा है, ‘निश्चितरूप से जब दरों में बढ़ोतरी होती है तो कोई खुश नहीं होता है।’
उन्होंने कहा, ‘अभी भी मुझे राजनीतिक रूप से प्रेरित आलोचकों की आलोचना का सामना करना पड़ता है, जो आरोप लगाते हैं कि रिजर्व बैंक ने मेरे कार्यकाल में अर्थव्यवस्था को पीछे धकेल दिया। मेरे कुछ पूर्ववर्तियों की भी इसी तरह की आलोचना की जाती है। ऐसे समय में तथ्यों पर बात करने से मदद मिलती है। और भविष्य की नीति को निर्देशित करने में सही तथ्य अहम हैं। यह जरूरी है रिजर्व बैंक वह करे, जो करने की जरूरत है और व्यापक राजनीतिक ऐसा करने की सुविधा देती है।’
राजन ने उन दिनों को याद किया, जब उन्होंने सितंबर 2013 में रिजर्व बैंक के गवर्नर का पदभार संभाला था। उस समय देश में महंगाई दर 9.5 प्रतिशत पर पहुंच गई थी। मुद्रा का संकट भी था औऱ रुपये में लगातार गिरावट हो रही थी। इसे देखते हुए रिजर्व बैंक ने सितंबर 2013 में रीपो रेट 7.25 प्रतिशत से बढ़ाकर 8 प्रतिशत कर दिया था, जिससे महंगाई पर काबू पाया जा सके। जब महंगाई नीचे आ गई तो रिजर्व बैंक ने दरों में 150 आधार अंक कटौती कर इसे 6.5 प्रतिशत कर दिया और महंगाई दर के लक्ष्य के ढांचे को लेकर सरकार के साथ करार किया।
राजन ने कहा, ‘इन कार्रवाइयों से न सिर्फ अर्थव्यवस्था और रुपये को स्थिर करने में मदद मिली, बल्कि इससे वृद्धि को भी बढ़ावा मिला।’
उन्होंने कहा, ‘अगस्त 2013 और अगस्त 2016 के बीच महंगाई दर 9.5 प्रतिशत से घटकर 5.3 प्रतिशत पर आ गई। वृद्धि जून अगस्त 2013 के 5.91 प्रतिशत से बढ़कर जून अगस्त 2016 में 9.31 प्रतिशत पर पहुंच गई। रुपये में 3 साल में मामूली गिरावट आई और यह 63.2 रुपये से 66.9 रुपये प्रति डॉलर पर पहुंचा। हमारा विदेशी मुद्रा भंडार सितंबर 2013 के 275 अरब डॉलर से बढ़कर सितंबर 2016 में 371 अरब डॉलर हो गया।’
उसके बाद से रिजर्व बैंक ने नोटबंदी, वृद्धि में गिरावट और महामारी जैसे संकट के दौर में कम महंगाई दर और कम ब्याज दर बरकरार रखा। राजन ने कहा कि आज विदेशी मुद्रा भंडार बढ़कर 600 अरब डॉलर पर पहुंच गया है, जिससे तेल की कीमत बढऩे पर भी वित्तीय बाजारों को रिजर्व बैंक शांत रख सकता है।
