प्रधानमंत्री जनधन योजना (पीएमजेवाई) शुरू होने के 9 साल पूरे होने पर पीएमजेवाई खाताधारक 6.26 करोड़ लोगों को प्रत्यक्ष लाभ मिला है। इससे केंद्र को धन के दुरुपयोग को रोकने में मदद मिली है, फर्जी खाते खत्म हुए हैं और सरकारी योजनाओं के लक्षित लाभार्थियों को लाभ पहुंचाने में मदद मिली है।
समय बीतने के साथ जनधन खाते जैम त्रयी (जनधन योजना, आधार और मोबाइल नंबर को जोड़ने) का अहम हिस्सा बन गए हैं। इससे चिह्नित लाभार्थियों के सत्यापित बैंक खातों ज्यादा पारदर्शी तरीके लाभ भेजा गया।
सरकार के अधिकारियों के मुताबिक जैम त्रयी से डुप्लीकेट या फर्जी लाभार्थियों को हटाने में मदद मिली है और इससे दुरुपयोग रुका है और 2015 से 2022 के बीच 2.73 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की बचत हुई है।
ताजा आंकड़ों से पता चलता है कि सरकार ने 2022-23 (वित्त वर्ष 23) में 7.16 लाख करोड़ रुपये हस्तांतरित किए हैं, जो 2013-14 में हस्तांतरित राशि की तुलना में 100 गुना ज्यादा है, जब प्रत्यक्ष नकदी हस्तांतरण शुरू किया गया था। वित्त वर्ष 14 में 7,367 करोड़ रुपये हस्तांतरित किए गए, जो PMJDY लागू होने के एक साल में ही पांच गुना बढ़कर 38,926 करोड़ रुपये हो गया।
सरकार ने महामारी के दौरान जनधन खाते का इस्तेमाल किया और ग्रामीण परिवारों के खातों में तत्काल डीबीटी के माध्यम से धन भेजा। एक सरकारी अधिकारी ने कहा कि देशबंदी के 10 दिन के भीतर 20 करोड़ से ज्दा महिलाओं के PMJDY खातों में राशि भेजी गई।
PMJDY 28 अगस्त 2014 को शुरू हुई। इसका मकसद हर ऐसे परिवार को शून्य बैलेंस के खाते मुहैया कराना था, जो बैंकिंग सेवा से नहीं जुड़े थे। योजना शुरू होने के 9 साल के दौरान PMJDY खातों की संख्या 16 अगस्त को 50 करोड़ हो गई, जो मार्च 2015 में 14.72 करोड़ थी। वित्त वर्ष 23 के अंत तक PMJDY खातों की संख्या 48.65 करोड़ थी। इन खातों में कुल जमा मार्च 2015 के 15,670 करोड़ रुपये से बढ़कर अब 2.03 लाख करोड़ रुपये हो गया है। इसमें PMJDY से 1.98 लाख करोड़ रुपये जमा किए गए।
जीरो बैलेंस वाले खातों की संख्या मार्च 2015 के 58 प्रतिशत की तुलना में इस समय तेजी से घटकर महज 8 प्रतिशत रह गई है। इसी तरह से PMJDY खातों पर जारी रुपे डेबिट कार्डों की संख्या मार्च 2015 के 13.15 करोड़ की तुलना में बढ़कर 16 अगस्त 2023 को 33.98 करोड़ हो गई है।