केंद्र सरकार 57,613 करोड़ रुपये की पीएम-ई बस सेवा के दिशानिर्देश एक महीने में जारी करने की योजना बना रही है। इसका ध्येय सार्वजनिक यातायात क्षेत्र में हरित वाहन अपनाने को बढ़ावा देना है।
वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ‘राज्य सरकारों से विचार-विमर्श जारी है। लिहाजा एक महीने में दिशानिर्देश जारी कर दिए जाएंगे।’ महत्त्वाकांक्षी पीएम-ई बस योजना की घोषणा 16 अगस्त को हुई थी। इस योजना के तहत देशभर के 169 शहरों में सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) के समझौते के अंतर्गत 10,000 ई बसें चलाई जाएंगी। इस योजना की निगरानी आवास और शहरी मामलों का मंत्रालय कर रहा है। इस योजना के लिए 57,613 करोड़ रुपये का भारी भरकम बजट है। इसमें से केवल 20,000 करोड़ रुपये केंद्रीय बजट से आबंटित किया जाना तय है। शेष राशि को विभिन्न राज्य सरकारों की मदद से जुटाया जाएगा।
इस पहल के अंतर्गत ई-बसों को खरीदना और उनकी नीलामी सरकारी ‘कन्वर्जेंस एनर्जी सर्विसेज लिमिटेड’ (सीईएसएल) के जरिये किए जाने की उम्मीद है। सीईएसएल पर ही वर्ष 2027 तक सरकार के महत्त्वाकांक्षी 50,000 ई बसों को नैशनल इलेक्ट्रिक बस प्रोग्राम (एनईबीपी) के तहत साकार करने का दायित्व है। सार्वजनिक यातायात व्यवस्था में इलेक्ट्रिक बसों का सीमित उपयोग होने के कारण पीएम ई-बस सेवा योजना की शुरुआत हुई है।
भारी उद्योग मंत्रालय के नवीनतम आंकड़े के अनुसार ‘(हाईब्रिड व) इलेक्ट्रिक वाहनों को तेजी से अपनाने और विनिर्माण’ (फेम-2) के अंतर्गत 7,210 ई बसों को मंजूरी दी गई थी। वैसे इसका शुरुआती लक्ष्य 7,090 इकाइयां थीं। लेकिन केवल 2,435 ई बसों का ही परिचालन हो पाया।
भारत में 2014 के बाद से विभिन्न खंडों में बसों की कुल बिक्री 8,16,356 दर्ज हुई। लेकिन इसमें बिजली चालित बसों की हिस्सेदारी 0.63 फीसदी के साथ केवल 5,124 इकाइयां थीं। इस संख्या को बढ़ाने के लिए सरकार ने विशेष तौर पर निजी ऑपरेटरों के लिए खासतौर पर योजना बनाने पर विचार करना शुरू किया। इसके बारे में बिज़नेस स्टैंडर्ड ने 9 अगस्त को जानकारी दी थी।
पीएम-ई बस सेवा फेम दो से अलग है। इसमें पहल की गई है कि राज्य सरकारें 3,00,000 लाख से अधिक आबादी वाले शहरों में बिजली चालित बसों का परिचालन शुरू करें।
यह फेम-2 योजना से कई मायनों में अलग है। फेम-2 योजना केवल 40 लाख से अधिक आबादी वाले नौ शहरों पर केंद्रित है। फेम -2 योजना में तीन किस्तें 20:40:40 के तहत दी जानी हैं। इस क्रम में सप्लाई ऑर्डर देने पर 20 फीसदी, डिलिवरी पर 40 फीसदी और वाणिज्यिक रूप से छह महीने तक बस चलाने पर 40 फीसदी है। हालांकि पीएम-ई बस सेवा में एक दशक तक किलोमीटर के आधार पर भुगतान किए जाने का प्रस्ताव है।
दोनों योजनाओं में शहरों की जनसंख्या और प्रोत्साहन का तरीका अलग होने के बावजूद विनिर्माताओं को 50 फीसदी कच्चा माल घरेलू आपूर्तिकर्ताओं से खरीदना है।
पीएम ई बस सेवा योजना के अंतर्गत केंद्र सरकार अनुदान मुहैया करवाएगी लेकिन बस ऑपरेटरों को भुगतान करने की जिम्मेदारी संबंधित राज्य सरकारों पर होगी। यह योजना आमतौर पर घाटे में चल रही राज्य परिवहन निगमों के लिए फायदेमंद साबित हो सकती है। लिहाजा राज्य सरकारों के पास केंद्र सरकार की आगामी ‘भुगतान सुरक्षा निधि’ से लाभ प्राप्त करने का अवसर होगा।
बिज़नेस स्टैंडर्ड ने 8 अगस्त को सबसे पहले जानकारी दी थी कि सरकार करीब 4,126 करोड़ रुपये की भुगतान सुरक्षा निधि की पहल कर सकती है। इस कोष का ध्येय 38,000 ई-बसों की खरीद कराना है। इस योजना के अंतर्गत देशभर के 181 शहरों में ग्रीन अर्बन मोबिलिटी इनिशिएटिव्स के तहत चार्जिंग का आधारभूत ढांचा विकसित किया जाएगा। इससे कार्बन उत्सर्जन कम करने में भी मदद मिलेगी।