कृषि जिंस के वायदा कारोबार पर बहुप्रतीक्षित रिपोर्ट अगले सप्ताह तक आने की संभावना है। इस रिपोर्ट को योजना आयोग के सदस्य अभिजीत सेन की अध्यक्षता में तैयार किया गया है।
सेन ने कहा कि समिति की बैठक गुरूवार को हुई और रिपोर्ट के प्रारुप में मामूली सुधार किया गया। उन्होने कहा कि रिपोर्ट को सभी सदस्यों को पढ़ने के लिए दे दिया गया है और हरेक सदस्य तीन-चार दिन इसका अध्ययन करेंगे। इसके बाद इस रिपोर्ट को सरकार को सौंप दिया जाएगा। समिति में चार सदस्य हैं।
इस रिपोर्ट की प्रतीक्षा बड़ी बेसब्री से किया जा रहा है। दरअसल लोगों में इस बात की उत्सुकता है कि इसके आने के बाद जिंस के दामों पर कैसा प्रभाव पड़ेगा। एक सूत्र ने बताया कि हालांकि सरकार ने कृषि जिंस कारोबार पर रोक लगाने की सोच सकती है लेकिन इस संबंध में समिति किसी तरह का सुझाव नही देना चाहती है। ऐसा इसलिए है कि इस समिति के लिए मूल्यों पर पड़ने वाले वायदा प्रभावों का अध्ययन करना है।
सेन ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया कि सरकार ने इस तरह की कोई जानकारी नही दी है कि यह वायदा कारोबार प्रतिबंधित होना चाहिए या नही। उन्होने कहा कि यह एक राजनीतिक निर्णय है। देखना यह है कि सरकार इसमें क्या करती है।
इस रिपोर्ट का इंतजार सरकार भी बड़ी बेसब्री से कर रही थी। शरद पवार ने तो इतना तक कह दिया कि अगर यह समिति 10 दिनों के भीतर अपनी रिपोर्ट नही सौंपती है तो एक अलग विशेषज्ञ समिति बना दी जाएगी। इस समिति का गठन मार्च 2007 में किया गया था और इस पहले अपनी रिपोर्ट सौंपने के लिए दो महीने का वक्त मिला था।सरकार ने दामों को नियंत्रित करने के लिए राजकोषीय और आपूर्ति की दिशा में भी कदम उठा रही है।
इस संबंध में राजनीतिक दलों ने भी एक दबाव बनाया है कि आवश्यक जिंस के वायदा कारोबार की बजाय मूल्य को निर्धारित करने की जरूरत है। वैसे इस मुद्दे पर सरकार में शामिल बहुत सारे लोगों में दुविधा मौजूद है और वे इस बात से सहमत नही हैं कि इस कदम से मूल्यों पर नियंत्रण कैसे होगा।
इस मुद्दे पर बाजार आयोग के पूर्व चेयरमैन बी सी खौटा ने कहा कि इस तरह के वायदा कारोबार से मूल्यों की गति को भांपने में मदद मिलेगी। उन्होने कहा कि वायदा कारोबार एक संवादवाहक है और संवादवाहक की हत्या नही की जानी चाहिए।
हाल ही में इस्पात के वायदा कारोबार पर प्रतिबंध लगाने की बात चल रही थी लेकिन अभी तक ऐसा कुछ नही किया गया है। इस्पात का वायदा कारोबार करने वाली एक्सचेंज एनसीडीईएक्स ने कहा कि द्वितीयक इस्पात उत्पादक उत्पादों का इस्तेमाल हेजिंग करने के लिए करते थे और इस गतिविधि से इस्पात के व्यापार का कोई मतलब नही रह जाता है। विशेषज्ञ मानते हैं कि इस तरह के वायदा कारोबार के लिए एक समय निर्धारित होना चाहिए और समय के बीत जाने के बाद इसे खत्म कर देना चाहिए।