देश में विदेशी निवेश को बढ़ावा देने के मकसद से सरकार प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के दिशा-निर्देशों में कुछ सुधार की योजना बना रही है।
इसके तहत क्षेत्रवार पूंजीं में प्रवासी भारतीयों के निवेश शामिल हैं। साथ ही क्षेत्रवार बाजार पूंजी में विदेशी संस्थागत निवेशकों के लिए तय कुछ प्रावधानों में भी फेर-बदल की योजना बनाई जा रही है।
इसके अलावा, 100 फीसदी विदेशी स्वामित्व वाली कंपनियों या उससे संबंधित निवेश के लिए प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के दो नियमों, जो प्रेस नोट 3 (1997) और प्रेस नोट 9 (1999) में शामिल हैं, उसे लागू करने का इरादा सरकार कर रही है।
सरकार की इस कवायद का मकसद वैश्विक वित्तीय संकट की स्थिति में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के प्रवाह को बढ़ाना और विदेशी निवेश में उदारता बरतना है, ताकि विभिन्न क्षेत्रों में निर्बाध रूप से विदेशी निवेश हो सके।
नए नियम के तहत उन क्षेत्रों को लाने की योजना है, जिनमें प्रत्यक्ष विदेशी निवेश और प्रत्यक्ष संस्थागत निवेश, दोनों शामिल हो। साथ ही इसके दायरे में वे सेक्टर भी शामिल होंगे, जिनमें प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के लिए खास उल्लेख नहीं किया गया है।
इन सेक्टरों में दूरसंचार, रियल एस्टेट, आधारभूत ढांचा क्षेत्र, प्रसारण आदि शामिल हैं। इस प्रस्ताव में इस बात का भी उल्लेख है कि जैसे ही इस नियम को सरकार की हरी झंडी मिलती है, उसके छह माह के अंदर ही कंपनियों को इन नियमों को लागू करना होगा।
अगर नए नियम के तहत भारतीय कंपनी के शेयरों में विदेशी हिस्सेदारी ज्यादा हो, तो कंपनी को उनके शेयर छह माह के अंदर कम करने होंगे। इस प्रस्ताव पर गुरुवार को आयोजित आर्थिक मामलों की कैबिनेट बैठक में चर्चा की गई। नए प्रस्ताव से दूरसंचार समेत तमाम कंपनियों को लाभ होने की उम्मीद है।