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एकमुश्त ऋण निपटान, बैंकों को 10 फीसदी टीडीएस से छूट

Last Updated- December 11, 2022 | 3:35 PM IST

केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने कहा है कि बैंकों और वित्तीय संस्थानों को एकमुश्त ऋण निपटान और माफी के मामले में स्रोत पर कर (टीडीएस) की कटौती नहीं करनी होगी। सीबीडीटी ने साफ किया है कि बोनस और राइट्स शेयर जारी करने के मामले में केंद्रीय बजट में पेश धारा 194आर के तहत कर काटने की जरूरत नहीं होगी। धारा 194आर 1 जुलाई 2022 से लागू है। इसके तहत किसी निवासी या लाभ पाने वाले व्यक्तियों के इस तरह के लाभ पर 10 प्रतिशत टीडीएस काटना होता है।
बैंकों ने यह प्रावधान लागू करने को लेकर चिंता जताते हुए कहा था कि इस तरह के लेन-देन पर कर उनके ऊपर एक अतिरिक्त बोझ होगा। शीर्ष प्रत्यक्ष कर निकाय द्वारा सार्वजनिक वित्तीय निर्देश से स्पस्टीकरण दिए जाने से अनुसूचित बैंकों, जमा लेने वाली और व्यवस्थित रूप से महत्त्वपूर्ण जमा न करने वाली गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों, परिसंपत्ति पुनर्निर्माण कंपनियों, सहकारी बैंकों, सहकारी कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंकों, राज्य वित्त निगमों और राज्य औद्योगिक निवेश निगमों को प्रावधान की नई धारा से छूट मिल गई है।
एकेएम ग्लोबल में टैक्स पार्टनर अमित माहेश्वरी ने कहा कि अतिरिक्त दिशानिर्देश के माध्यम से स्पष्टीकरण दिए जाने से बैंकों को बड़ी राहत मिली है, इससे उन्हें इस कर की वजह से आने वाली अतिरिक्त लागत के बोझ से मुक्ति मिलेगी। बहरहाल माहेश्वरी ने कहा कि अगर कोई कंपनी ऐसी है, जिसमें जनता की बहुत ज्यादा दिलचस्पी नहीं है, उसे अभी भी प्रावधानों के मुताबिक स्रोत पर कर कटौती की जरूरत होगी, जब वह बोनस या राइट शेयर जारी करेगी।
नांगिया एंडरसन एलएलपी में पार्टनर विश्वास पंजियार ने कहा कि ऐसी कंपनियों में धारा 194आर लागू करने से छूट का फैसला, जिनमें जनता उल्लेखनीय रूप से रुचि लेती है, अजीब है। उन्होंने कहा कि यह कॉर्पोरेट कानून के सुस्थापित सिद्धांतों में कमी की वजह से हुआ है।

First Published - September 14, 2022 | 10:46 PM IST

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