Offshore Mining: देश के पहले अपतटीय खनिज के खनन नीलामी में छोटे कारोबारियों को आकर्षित करने के लिए सरकार प्रदर्शन प्रतिभूति और अग्रिम भुगतान (अपफ्रंट पेमेंट) के नियमों में ढील देने पर विचार कर रही है।
प्रस्तावित योजना के मुताबिक अपतटीय खनन के मामले में उत्पादन पट्टे (पीएल) में प्रदर्शन प्रतिभूति और अग्रिम भुगतान में, प्रत्येक के लिए 100 करोड़ रुपये की सीमा तय की जा सकती है।
कंपोजिट लाइसेंस (सीएल) धारक को प्रदर्शन प्रतिभूति के लिए सिर्फ 50 करोड़ रुपये देने होंगे। बहरहाल अगर कंपोजिट लाइसेंस धारक उत्पादन पट्टे के लिए आवेदन करता है तो यह राशि बढ़कर 100 करोड़ रुपये हो जाएगी।
उल्लेखनीय है कि कंपोजिट लाइसेंस के लिए किसी अग्रिम भुगतान की जरूरत नहीं होगी। अब तक देश में अपतटीय खनन नहीं होता था।
तटवर्ती खनन के लिए सरकार का प्रस्ताव यह है कि खनन पट्टे (एमएल) में प्रदर्शन प्रतिभूति और अग्रिम भुगतान दोनों को 500 करोड़ रुपये किया जाए। इसमें कंपोजिट लाइसेंस के लिए 250 करोड़ रुपये प्रदर्शन प्रतिभूति तय की गई है और अगर सीएल धारक एमएल के लिए आवेदन करता है तो यह राशि बढ़कर 500 कराेड़ रुपये हो जाती है।
तटवर्ती खनन कार्यों के लिए प्रदर्शन प्रतिभूति और अग्रिम भुगतान राशि अनुमानित संसाधनों के मूल्य (वीईआर) के 0.50 प्रतिशत तक निर्धारित की गई है।
खनन पट्टा पाने के पहले यह अग्रिम राशि देनी पड़ती है। कंपोजिट लीज के लिए प्रदर्शन प्रतिभूति वीईआर का 0.25 प्रतिशत होगी, लेकिन अगर उसी ब्लॉक में खनन लाइसेंस जारी किया जाता है तो यह राशि बढ़कर 0.50 प्रतिशत हो जाएगी।
प्रदर्शन प्रतिभूति और अग्रिम भुगतान को सीमित करने का निर्णय खान मंत्रालय के उस अवलोकन से लिया गया है कि बोलीदाताओं को अग्रिम राशि में ज्यादा धन भुगतान को लेकर झिझक होती है। इससे नीलामी की प्रक्रिया में भागीदारी घट जाती है।
केंद्र सरकार ने तटवर्ती 20 महत्त्वपूर्ण खनिज ब्लाकों और 15 से 20 अपतटीय खनिज ब्लॉकों की नीलामी 2024 यानी इस साल की पहली तिमाही में करने की घोषणा की है, जिसके बाद नियमों में ढील देने पर विचार हो रहा है।