सरकार महंगाई की आग को कम करने की जितनी कोशिशें कर रही है, उतनी ही यह आग भड़कती जा रही है।
17 मई को समाप्त सप्ताह के दौरान महंगाई दर बढ़कर 45 महीने के उच्चतम स्तर, यानी 8.1 फीसदी पर पहुंच गई। इससे पहले सप्ताह में महंगाई दर 7.82 प्रतिशत थी, जबकि पूर्व वर्ष की समान अवधि में यह 5.3 फीसदी थी।
इस दौरान फल, सब्जी, दाल, मछली और मसालों की कीमतों ने महंगाई की आग को हवा दी। समुद्री मछली की कीमतों में 6 फीसदी का उछाल आया, जबकि फल और सब्जियां करीब 3 फीसदी तक महंगे हुए। मसालों की कीमत में भी एक फीसदी का उछाल आया है। हैरत की बात है कि निर्यात पर प्रतिबंध होने के बावजूद स्किम्ड मिल्क पाउडर की कीमतों में जबर्दस्त उछाल देखी गई। इसकी कीमतों में करीब 7 फीसदी का इजाफा हुआ।
आयातित खाद्य तेलों की कीमतों में भी एक फीसदी की तेजी रही। पॉलिस्टर यार्न की कीमत एक प्रतिशत बढ़ गई, जबकि सिंथेटिक रबर की कीमत में 9 फीसदी का उछाल आया। ईंधन और बिजली सूचकांक 0.4 प्रतिशत बढ़कर 347.2 हो गया, जो पूर्व सप्ताह में 345.8 था।
17 मई को समाप्त सप्ताह में लाइट डीजल ऑयल की कीमतों में भी 2 फीसदी का उछाल आया, वहीं खाद्य उत्पादों का सूचकांक 0.6 प्रतिशत चढ़कर 232.9 पर पहुंच गया। इससे पहले सप्ताह में यह 231.4 था। राहत की बात यह है कि समीक्षाधीन सप्ताह में सूरजमुखी और सोयाबीन तेल की कीमतों में क्रमश: 7 और 6 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई।