भारत के रणनीतिक महत्व के म्यांमार के सितवे बंदरगाह का संचालन मंगलवार से शुरू हुआ। केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने कोलकाता से पांच दिन पहले चले पोत की सितवे बंदरगाह में अगवानी की। इस अवसर पर सोनवाल ने कहा, ‘इससे भारत और म्यांमार के लोगों के बीच संवाद और व्यापार की बढ़ोतरी होगी। यह भारत सरकार की एक्ट ईस्ट नीति के तहत पूर्वोत्तर के देशों के आर्थिक विकास को बढ़ावा देगा।’
उन्होंने कहा, ‘मुझे विश्वास है कि सितवे बंदरगाह दक्षिण पूर्व एशिया के लिए भारत का द्वार (गेटवे ऑफ इंडिया) बनेगा। इससे प्रगति और विकास को बढ़ावा मिलेगा।’ यह 48.4 करोड़ डॉलर के कलादान मल्टीमोडल ट्रांसिट ट्रांसपोर्ट प्रोजेक्ट (KMTTP) का हिस्सा है। भारत सरकार के अनुदान की मदद से सितवे बंदरगाह बनाया गया है।
इसका मुख्य ध्येय यह है कि पूर्वोत्तर और भारत की मुख्य भूमि के बीच एक और वैकल्पिक मार्ग बनाया जाए। यह बंदरगाह म्यांमार के पलेटवा बंदरगाह को भारत की मुख्य भूमि से जोड़ता है और फिर सड़क मार्ग से पलेटवा को मिजोरम के जोरिनपुई से जोड़ता है। अभी तक आवाजाही के लिए सिलिगुड़ी का संकरा मार्ग (चिकन रुट) ही यातायात का जरिया था।
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सोनेवाल ने सोमावार को कहा था कि कोलकाता से अगरतला तक की दूरी करीब 1600 किलोमीटर है और सड़क से पहुंचने में चार दिन लगते हैं। सितवे से चटगांव से सरबूम से अगरतला तक दो दिन में पहुंचा जा सकेगा। इससे लागत और समय की बचत होगी। इस अवसर पर मौजूद अधिकारियों ने बताया कि इस प्रोजेक्ट के लिए हस्ताक्षर 2009 में किए गए थे।