लगभग 20 महीने बाद वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद के सदस्यों की आमने-सामने बैठकर हुई बैठक में आज कई अहम फैसले लिए गए, जिनमें जीवन रक्षक दवाओं और कोरोनावायरस की दवाओं को जीएसटी में छूट देना तथा कैंसर की दवाओं पर जीएसटी दर कम करना शामिल है। मगर पेट्रोल और डीजल को इस कर के दायरे से बाहर ही रखा गया।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लखनऊ में हुई बैठक के बाद देर शाम संवाददाता सम्मेलन में कहा कि बैठक में आम लोगों से जुड़े कई अहम फैसले लिए गए हैं। उन्होंने कहा, ‘कोरोनावायरस की दवाएं इस समय बहुत जरूरी हैं, इसलिए उन्हें इस साल 31 दिसंबर जीएसटी से मुक्त ही रखा जाएगा। इसी तरह ब्लैक फंगस के इलाज में काम आने वाली एम्फोटेरिसिन से भी जीएसटी खत्म किया जा रहा है।’
साथ ही जीवनरक्षक दवाओं पर भी जीएसटी में रियायत दी गई है। वित्त मंत्री ने कहा कि पिछले कुछ समय में देखा गया है कि जीवनरक्षक दवाएं खासी महंगी हैं। कुछ दवाओं पर पहले ही जीएसटी रियायत दी गई है। अब सात दवाओं – इटोलिजुमैब, पोसाकोनाजोल, इनफ्लिक्सिमैब, बामलानिविमैब और इटेसेविमैब, कैसिरिविमैब और इम्डेविमैब, 2-डीऑक्सी-डी-ग्लूकोज तथा फ्लैविपिराविर – पर जीएसटी की दर भी 12 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी कर दी गई है।
जीएसटी परिषद ने कैंसर की दवाओं पर भी 12 फीसदी की जगह 5 फीसदी जीएसटी वसूलने को मंजूरी दे दी। अलबत्ता देश के कई हिस्सों में 100 रुपये प्रति लीटर से अधिक पर बिक रहे पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने से इनकार कर दिया गया। सीतारमण ने बताया कि बैठक में परिषद के सदस्यों ने साफ कहा कि वे पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के दायरे में शामिल नहीं करना चाहते। विभिन्न राज्यों ने इसकी मुखालफत की, इसलिए इसे जीएसटी से बाहर ही रखा गया।
बहरहाल बायोडीजल पर जीएसटी में कटौती कर दी गई। अभी तक इस पर 12 फीसदी कर वसूला जा रहा था मगर अब केवल 5 फीसदी जीएसटी लिया जाएगा। विटामिन और खनिज मिलाकर तैयार किए जाने वाले फोर्टिफाइड चावल पर जीएसटी दर में भी खासी कटौती कर दी गई। अभी तक इस पर 18 फीसदी जीएसटी लिया जा रहा था मगर अब केवल 5 फीसदी कर लिया जाएगा।
पिछले कुछ दिनों से फूड डिलिवरी ऐप्स को जीएसटी के दायरे में लाने पर चर्चा चल रही थी। आज इन पर 5 फीसदी जीएसटी को मंजूरी मिलने की खबरें आ रही थीं मगर देर रात राजस्व सचिव ने कहा कि इन ऐप्स पर कोई नया कर नहीं लगाया गया है।
एक अहम फैसले में माल ढुलाई करने वाली गाडिय़ों को राष्ट्रीय परमिट शुल्क से मुक्त कर दिया गया है। अभी तक राज्य उनसे राष्ट्रीय परमिट शुल्क वसूला करते थे। वित्त मंत्री ने बताया कि केंद्र ने पिछले वित्त वर्ष और इस वित्त वर्ष में जो मुआवजा ऋण लेकर राज्यों को दिए थे, उन्हें चुकाने के लिए लगाया जा रहा उपकर मार्च, 2026 तक जारी रहेगा। परिषद ने दो मंत्रिसमूहों का गठन भी किया है, जो दरों को तर्कसंगत बनाने, ई-वे बिल, फास्टैग, खामियां दूर करने आदि के मसलों पर काम करेंगे।