भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने आज रीपो रेट 25 आधार अंक बढ़ाकर 6.25 फीसदी कर दिया है। रीपो में यह बढ़ोतरी उम्मीद के अनुरूप है और रीपो अब चार साल के उच्च स्तर पर पहुंच गई है। इसके साथ ही समिति ने समायोजन वापस लेने के रुख को बरकरार रखा है जबकि कई लोगों का मानना था कि मौद्रिक नीति पर रुख बदलकर तटस्थ (neutral) किया जा सकता है।
शक्तिकांत दास ने जब दिसंबर 2018 में आरबीआई के गवर्नर की जिम्मेदारी संभाली थी उस समय भी रीपो रेट 6.5 फीसदी पर थी। इससे दास के नेतृत्व में नीतिगत रेट का एक चक्र पूरा हो चुका है। दास ने फरवरी, 2019 में MPC की अपनी पहली बैठक में रीपो रेट में 25 आधार अंक की कटौती कर 6.25 फीसदी करने का निर्णय किया था।
ताजा बढ़ोतरी के बाद मई 2022 से अब तक आरबीआई ने रीपो रेट में 250 आधार अंक की वृद्धि की है। हालांकि रेट में वृद्धि की रफ्तार थोड़ी कम हुई है। इसके साथ ही आरबीआई ने मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने पर ध्यान जारी रखने का निर्णय किया गया और इसके कोई भी संकेत नहीं दिए कि यह अंतिम बढ़ोतरी हो सकती है। बाजार के भागीदारों को उम्मीद थी कि रेट में बढ़ोतरी का दौर अब थम सकता है।
दास ने कहा, ‘MPC का मानना था कि मुद्रास्फीति को स्थिर रखने, मुख्य मुद्रास्फीति की जड़ता को तोड़ने और मध्यम अवधि की विकास की संभावनाओं को मजबूत करने के लिए आगे मौद्रिक नीति कार्रवाई जरूरी है।’
MPCके 6 सदस्यों में से 4 ने रीपो रेट में 25 आधार अंक की बढ़ोतरी के पक्ष में मत दिया जबकि बाह्य सदस्यों आशिमा गोयल और जयंत वर्मा ने इस प्रस्ताव के खिलाफ मत दिया। मौजूदा MPC की वोटिंग के संदर्भ में यह सबसे भिन्न परिणाम है। गोयल और वर्मा ने समायोजन के रुख को बरकरार रखने के खिलाफ वोट किया।
मौद्रिक रुख को सही ठहराते हुए दास ने कहा कि मुद्रास्फीति को समायोजित करने पर नीतिगत रेट अभी भी महामारी के पहले के स्तर से कम है और बैंकों के पास अधिशेष नकदी है।
उन्होंने कहा, ‘बैंकिंग तंत्र में अधिशेष नकदी बनी हुई है और जनवरी से एलएएफ के तहत हर दिन औसतन 1.6 लाख करोड़ रुपये की नकदी खींची जा रही है। कुल मिलाकर मौद्रिक स्थिति समायोजन वाली बनी हुई है और MPC ने इसे वापस लेने पर ध्यान देने का निर्णय किया है।’
रेट वृद्धि के आगे थमने के संकेत नहीं मिलने से 10 वर्षीय सरकार प्रतिभूतियों का प्रतिफल 3 आधार अंक बढ़ गया।
नोमुरा में भारत के अर्थशास्त्री अरुदीप नंदी ने कहा, ‘टेस्ट क्रिकेट मैच की तरह, यक्ष प्रश्न है कि क्या आरबीआई को अब रेट वृद्धि चक्र की पारी समाप्त करने की घोषणा करनी चाहिए या नहीं।’ नंदी ने कहा, ‘आरबीआई गवर्नर ने सतर्क रुख दिखाया है और कोर मुद्रास्फीति के उच्च स्तर पर बने रहने को लेकर चिंता जताई है। हालांकि मुख्य मुद्रास्फीति वित्त वर्ष 2024 में 5.3 फीसदी रहने का अनुमान लगाया है और विकास रेट पर भरोसा जताते हुए आगाह किया कि मौद्रिक स्थिति अभी भी महामारी के पूर्व स्तर जितनी सख्त नहीं है। ऐसे में दरों में आगे बढ़ोतरी की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।’
MPC ने अगले वित्त वर्ष में खुदरा मुद्रास्फीति के 5.3 फीसदी और चालू वित्त वर्ष में मुद्रास्फीति 6.7 फीसदी से मामूली घटकर 6.5 फीसदी रहने का अनुमान लगाया है। इसी तरह वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि अगले वित्त वर्ष में 6.4 फीसदी रहने का अनुमान है।
भारतीय स्टेट बैंक समूह के मुख्य आर्थिक सलाहकार सौम्य कांति घोष ने कहा, ‘वित्त वर्ष 2024 की पहली तिमाही के जीडीपी अनुमान को 7.8 फीसदी किया गया है जो पहली तिमाही से मुद्रास्फीति के कम होने के लाभ को दर्शाता है।’
आईडीएफसी एएमसी में फिक्स्ड इनकम के प्रमुख सुयश चौधरी ने कहा, ‘मेरे विचार से आरबीआई अप्रैल में अपने रुख को बदलकर तटस्थ कर सकता है।’
आरबीआई के डिप्टी गवर्नर माइकल पात्रा ने कहा, ‘उधारी और जमा वृद्धि में अंतर कम हुआ है लेकिन अभी भी इसमें असमानता है और यह बैंकों पर निर्भर है कि वह इस अंतर को पाटने के लिए जमा को बढ़ावा दें।’