एक आयकर न्यायाधिकरण ने नोटबंदी के दौरान कंपनी द्वारा जमा कराई गई नकदी पर कर अधिकारियों की मांग खारिज कर दी है, क्योंकि कंपनी ने इस जमा का स्रोत स्पष्ट किया है। कर अधिकारियों ने 9 नवंबर से 30 दिसंबर 2016 के बीच नोटबंदी की अवधि के दौरान कंपनी द्वारा अपने बैंक खाते में नकदी जमा की थी, जिसके कारण कर अधिकारियों ने 2.88 करोड़ रुपये अतिरिक्त शुल्क लगाया था।
सरकार ने 500 और 1,000 के नोट चलन से बाहर करते हुए उन्हें वापस लेने का फैसला किया था और लोगों से कहा गया था कि वे इन नोटों को उपरोक्त उल्लिखित तिथियों के भीतर बैंक में जमा कर दें। दिल्ली के आयकर अपीली न्यायाधिकरण (ITAT) ने कंपनी से की गई अतिरिक्त कर मांग को खारिज कर दिया है, जो ओएनजीसी के लिए खनिज तेल की ढुलाई के लिए जहाजों का परिचालन करती है। साथ ही कंपनी न्यू मंगलूर पोर्ट के लिए बुनियादी ढांचा सुविधाएं देती है।
ITAT ने कहा कि कंपनी ने अपने कारोबारी परिचालन के लिए विभिन्न स्तर पर नकदी रखती है, जिससे कारोबारी जरूरतें पूरी की जा सकें।
न्यायधिकरण ने कहा कि जब खाते को खारिज नहीं किया गया और कैशबुक में कोई गड़बड़ी नहीं पाई गई तो कर अधिकारियों को 8 नवंबर 2016 को अधिक नकदी रखने को लेकर अविश्वास करने का कोई मामला नहीं बनता।