भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक भारत पर प्रवासियों का शुद्ध दावा जून तिमाही में 12.1 अरब डॉलर बढ़कर 379.7 अरब डॉलर हो गया है। विदेशी मालिकाना वाली वित्तीय संपत्तियों में तेज बढ़ोतरी के कारण ऐसा हुआ है।
अंतरराष्ट्रीय निवेश में भारत की स्थिति के जून के अंत तक के आंकड़ों के मुताबिक अप्रैल जून की अवधि के दौरान भारत के निवासियों की विदेशी संपत्ति में आरक्षित संपत्ति में सबसे ज्यादा 16.6 अरब डॉलर बढ़ोतरी हुई है।
इसके बाद प्रत्यक्ष निवेश, ऋण और व्यापार ऋण का स्थान है। रिजर्व बैंक ने कहा है, ‘इस तिमाही के दौरान अप्रवासियों के शुद्ध दावे में वृद्धि की प्रमुख वजह भारत में विदेशी मालिकाना वाली संपत्तियों में तेज बढ़ोतरी (36.2 अरब डॉलर) है, जबकि इसकी तुलना में भारत के लोगों की विदेश में वित्तीय संपत्ति में वृद्धि 24.1 अरब डॉलर है।’
इसमें कहा गया है कि इन वार्ड पोर्टफोलियो निवेश (15 अरब डॉलर) और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (8.9 अरब डॉलर) को मिलाकर भारत के लोगों की विदेशी देनदारियों में हिस्सेदारी बढ़ाने में दो तिहाई योगदान है।
आंकड़ों के मुताबिक भारत की अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संपत्तियों में जून तिमाही की समाप्ति पर आरक्षित संपत्ति की हिस्सेदारी 64.2 प्रतिशत है।
रिजर्व बैंक ने कहा कि रुपये की तुलना में अन्य मुद्राओं के विनिमय दर में बदलाव से देनदारी प्रभावित हुई है।