भारतीय रिजर्व बैंक की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि जलवायु परिवर्तन के लक्ष्यों के लिए बुनियादी ढांचे की खाई पाटने हेतु 2030 तक ग्रीन फाइनैंसिंग में सालाना सकल घरेलू उत्पाद का 2.5 प्रतिशत निवेश करने की जरूरत है।
भारतीय रिजर्व बैंक ने करेंसी ऐंड फाइनैंस (आरसीएफ) पर अपनी रिपोर्ट में कहा है कि ज्यादा बैंकिंग पूंजी की जरूरत के अलावा सफल हरित बदलाव योजना के लिए भी सामाजिक-आर्थिक बुनियादी ढांचे में बड़े नए निवेश की जरूरत होगी।
इन अनुमानों में जलवायु परिवर्तन के कारण शमन और अनुकूलन के लिए आवश्यक किसी भी निवेश को साफतौर पर ध्यान में नहीं रखा गया है, इसलिए वास्तविक धन की आवश्यकता अधिक होने की संभावना है।रिपोर्ट में कहा गया है कि मौजूदा बुनियादी ढांचे और हासिल किए जाने वाले बुनियादी ढांचे के स्तर के बीच अंतर, जिसे जलवायु घटनाओं की अनुपस्थिति में हासिल किया जा सकता था, जीडीपी का लगभग 5.2 प्रतिशत होगा।
विभिन्न संस्थानों द्वारा लगाए गए व्यापक अनुमानो से पता चलता है कि भारत द्वारा कुल वित्तपोषण की सालाना जरूरत कम से कम जीडीपी के 5 से 6 प्रतिशत के बराबर हो सकती है।
हरित बदलाव की प्रक्रिया को समर्थन करने के लिए वित्तीय क्षेत्र को अपने संचालन व व्यावसायिक रणनीतियों को पुनर्गठित करने की दोहरी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। साथ ही जलवायु की विपरीत स्थितियों में वित्तीय स्थितरता की रक्षा करना भी चुनौती है।