कैलेंडर वर्ष 2022 के लिए मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस ने आज भारत की वृद्धि का अनुमान घटाकर 8.8 प्रतिशत कर दिया है, जबकि मार्च में 9.1 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान लगाया था। मूडीज ने बढ़ती महंगाई और ब्याज दरों में बढ़ोतरी को देखते हुए यह अनुमान लगाया है।
वृहद वैश्विक परिदृश्य का अद्यतन करते हुए मूडीज ने कहा कि निर्यात, जीएसटी, माल ढुलाई जैसे आंकड़े बताते हैं कि दिसंबर, 2021 की तिमाही से वृद्धि ने गति पकड़ी है और यह इस साल पहले 4 महीने जारी रही। हालांकि, कच्चे तेल, खाद्य और उर्वरक के दाम में तेजी से घरों की वित्तीय स्थिति और आने वाले महीनों में खर्च पर असर पड़ेगा। ऊर्जा और खाद्य महंगाई दर को काबू में रखने के लिए नीतिगत दर में वृद्धि से मांग में सुधार की गति धीमी पड़ेगी। मूडीज ने कहा, ‘हमने वर्ष 2022 के लिए भारत की आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को घटाकर 8.8 प्रतिशत कर दिया है। इससे पहले, मार्च में इसके 9.1 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया था। हालांकि, वर्ष 2023 के लिए आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को 5.4 प्रतिशत पर बरकरार रखा गया है।’
रेटिंग एजेंसी ने कहा कि कर्ज में अच्छी वृद्धि, कंपनियों के बड़े स्तर पर निवेश की घोषणा और सरकार के बजट में पूंजीगत व्यय पर आवंटन बढ़ाए जाने से निवेश में मजबूती आने का संकेत मिलता है।
मूडीज ने कहा, ‘अगर वैश्विक कच्चे तेल और खाद्य कीमतों में और वृद्धि नहीं होती है, तो अर्थव्यवस्था तेज वृद्धि की गति बनाए रखने के लिए पर्याप्त मजबूत लग रही है।’ मूडीज का अनुमान है कि भारत की खुदरा महंगाई दर 2022 में बढ़कर 6.8 प्रतिशत हो जाएगी, जो 2021 में 5.7 प्रतिशत थी। खुदरा महंगाई अप्रैल में 8 साल के उच्च स्तर 7.8 प्रतिशत पर पहुंच गई है। पूर्व निर्धारित समय के विपरीत नीतिगत समीक्षा में मौद्रिक नीति समिति ने इस महीने की शुरुआत में रीपो दर में 40 आधार अंक की बढ़ोतरी कर दी थी, क्योंकि महंगाई दर पिछले 4 माह से केंद्रीय बैंक के ऊपरी सीमा से ऊपर बनी हुई है। सोमवार को भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि एमपीसी की जून की बैठक में दरों में एक और बढ़ोतरी की संभावना है।
हालांकि हाल में जीडीपी वृद्धि अनुमान कम करने के बावजूद मूडीज का अनुमान अन्य एजेंसियों की तुलना में ज्यादा आशावादी बना हुआ है। भारतीय रिजर्व बैंक ने वित्त वर्ष 23 में जीडीपी वृद्धि 7.2 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है। वहीं फिच ने 8.5 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान लगाया है। अभी मूडीज ने वित्त वर्ष 23 के लिए वृद्धि अनुमान में कोई बढ़ोतरी नहीं की है, यह 9.1 प्रतिशत पर बना हुआ है।
मूडीज ने 2022 के लिए वैश्विक वृद्धि अनुमान घटाकर भी 3.1 प्रतिशत कर दिया है, जिसकी कुछ नकारात्मक वजहें हैं। इसें कहा गया है, ‘आर्थिक गति को बहाल करने वाले मुख्य चालक आर्थिक वृद्धि का अनुमान सुस्त कर रहे हैं, जिसमें आपूर्ति संबंधी झटके, महंगाई दर और ग्राहकों की खरीद क्षमता घटना शामिल है। साथ ही वैश्विक स्तर पर नीतिगत बदलाव और बाजार में उतार-चढ़ाव, संपत्तियों की कीमत में कमी और कर्ज मिलने में सुस्ती की स्थिति शामिल है।’ रेटिंग एजेंसी ने कहा कि महामारी के बाद वैश्विक आर्थिक रिकवरी को जटिल चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
