फिच के भारत के मुद्रा परिदृश्य की रैंकिंग नेगेटिव दिए जाने के एक दिन बाद ही अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसी मूडीज ने कहा है कि वह तेल की ऊंची कीमतों और सरकार की नीतियों में समायोजन की कमी से भारत की वित्तीय हालत पर चिंतित है, लेकिन उसने विदेशी और घरेलू मुद्रा के संदर्भ में अपनी इन्वेस्टमेंट ग्रेड रेटिंग में बदलाव नहीं करना मुनासिब समझा है।
मालूम हो कि गत मंगलवार को फिच ने भारत के लांग टर्म करेंसी आउटलुक को स्थिर से नेगेटिव करार दिया था। इसके चलते विदेशों से कर्ज लेना खासा महंगा साबित हो सकता है। साथ ही इसके चलते देश में निवेश पर भी असर पड़ सकता है। हालांकि फिच ने भारत की स्थानीय एवं विदेशी मुद्रा की रेटिंग बीबीबी-नेगेटिव रखी है जो इन्वेस्टमेंट ग्रेड की ओर इशारा करती है जबकि विदेशी मुद्रा परिदृश्य की हालत स्थिर है।
इस बाबत मूडीज के वाइस चेयरमैन और वरिष्ठ विश्लेषक अनिंदा मित्रा का कहना है कि हमने अपनी रेटिंग में बदलाव करने का कोई फैसला नहीं किया है,लेकिन फिच ने बिल्कुल उसी प्रकार की रेटिंग की है जिस प्रकार की बात हम कहते आ रहे थे। मित्रा ने बताया कि मुद्रास्फीति की दर के जून में 11.89 फीसदी रहने के कारण इससे संबंधित नीतियां प्रभावित हुई हैं।