सोमवार को लीमन बदर्स के कंगाली के कगार पर पहुंचने और निवेश बैंक मेरिल लिंच के बैंक ऑफ अमेरिका द्वारा खरीदे जाने के साथ ही अमेरिकी वित्तीय संकट और गहरा गया है।
अमेरिका में ताजा संकट और इसके परिणामों के बारे में स्टैंडर्ड एंड पुअर्स के मुख्य अर्थशास्त्री डेविड विस ने न्यू यॉर्क से शोभना सुब्रह्मण्यन को दिए गए साक्षात्कार में बताया कि अमेरिकी वित्तीय संकट फिलहाल समाप्त नहीं हुआ है और जापान तथा ब्रिटेन में समस्या और भी जटिल हो सकती है।
सब-प्राइम संकट से होने वाला घाटा लगता है बढ़ रहा है?
सब प्राइम संकट केबाद करीब 400 अरब डॉलर के घाटे का अनुमान लगाया गया था जो सही लग रहा है, लेकिन इसी के साथ खासे डेरिवेटिव नुकसान भी हो रहे हैं लिहाजा हमे लगता है कि कुल नुकसान एक खरब डॉलर तक पहुंच सकता है। निश्चित तौर पर अभी माहौल प्रतिकूल है और स्थिति के सामान्य होने में थोड़ा समय लगेगा।
वैश्विक स्तर पर विकास पर इसका कितना असर पड़ेगा?
अमेरिका से भी बुरी स्थिति ब्रिटेन की हो सकती है, क्योंकि वहां पर भी आवास ऋण का संकट ज्यादा बड़ा है , यही नहीं वहां की बैंकिंग प्रणाली भी उतनी मजबूत और पूंजीकृत नहीं है। जापानी अर्थव्यवस्था भी अमेरिका की तरह ही प्रभावित हो रही है।
अमेरिका में तरलता की मौजूदा स्थिति को आप कैसे देखते हैं?
छोटे बैंक जिन्होंने छोटे कारोबार करने के लिए ऋण उपलब्ध कराया था वो बेहतर स्थिति में हैं और ऐसा आगे भी जारी रहना चाहिए। समस्या बड़े निवेश बैंकों केसाथ है। इस लिहाज से जो बड़े कारोबार हैं उनके लिए ऋण जुटाना और कारोबार जारी रखना मुश्किल भरा हो सकता है।
क्या फंड प्रबंधक एशिया में अपनी पोजीशन को लिक्विडेट करेंगे?
मुझे नहीं लगता कि एशियाई बाजार में फंड मैंनेजर लिक्विडेट करेंगे क्योंकि वहां जो परिसंपत्ति है वो अच्छी गुणवत्ता वाली हैं। भारत और चीन दोनों तेजी से बढ़ रहे हैं और वहां परिसंपत्ति दीर्घावधि वाली है। हालांकि इस बात की संभावना है कि अमेरिकी बाजार से एशियाई और मध्य-पूर्व के कारोबारी अपने निवेश को निकाल ले।