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EPFO पर ब्याज 45 साल के दूसरे निचले स्तर पर, 8.1 % से 8.15 % की ब्याज दर

Last Updated- March 28, 2023 | 11:02 PM IST
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कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) द्वारा ब्याज की दर बढ़ाने के फैसले से अब सरकारी प्रतिभूतियों पर मिलने वाले रिटर्न का कम रह गया है। EPFO अपना ज्यादातर धन सरकारी प्रतिभूतियों में लगाता है।

पिछले 2 साल से EPFO पर रिटर्न 1977-78 के बाद से सबसे कम था। 2022-23 के लिए ब्याज की बढ़ी हुई दर 8.15 प्रतिशत 1977-78 के बाद का दूसरा निचला स्तर है। इसके पहले EPFO पर ब्याज का सबसे निचला स्तर 2021-22 में 8.1 प्रतिशत था। 1977-78 में EPFO पर रिटर्न 8 प्रतिशत था। यह उसके बाद 8.25 प्रतिशत या इससे ज्यादा रहा है। सबसे ज्यादा ब्याज दर 12 प्रतिशत था, जब 1989-90 से 1999-00 के बीच कोई बदलाव नहीं किया गया।

EPFO पर रिटर्न सरकार की प्रतिभूतियों के साथ नजदीकी से चलता है। महामारी के पहले 10 साल तक EPFO पर रिटर्न और सरकार के प्रतिफल के बीच अंतर औसतन 81 आधार अंक रहा है। 100 आधार अंक 1 प्रतिशत होता है। EPFO पर ब्याज सरकार के प्रतिफल की तुलना में अधिक था। यह अंतर 2019-20, 2020-21 और 2021-22 में बढ़कर औसतन 200 आधार अंक रहा।

उसके बाद प्रतिफल में करीब 100 आधार अंक की बढ़ोतरी हुई है, जबकि EPFO ने अपना रिटर्न 5 आधार अंक बढ़ाया है।

सरकार के 10 साल की प्रतिभूति पर हाल का रिटर्न 7.3 प्रतिशत रहा है। EPFO पर ब्याज दरों में मामूली बढ़ोतरी का मतलब यह है कि अब EPFO दर और 10 साल की सरकारी प्रतिभूति पर मौजूदा प्रतिफल के बीच अंतर करीब 85 आधार अंक रह जाएगा। यह अब महामारी के पहले के औसत के करीब हो गया।

2021-22 के आंकड़ों के मुताबिक EPFO का पोर्टफोलियो 18.3 लाख करोड़ रुपये का है। इसमें से 54.6 प्रतिशत पूंजी राज्य या केंद्र सरकार की प्रतिभूतियों में लगती है।

राज्यों द्वारा जारी राज्य विकास ऋण में हिस्सेदारी 38.05 प्रतिशत या 6.97 लाख करोड़ रुपये है। केंद्र सरकार की प्रतिभूतियों में EPFO ने करीब 3 लाख करोड़ रुपये (16.53 प्रतिशत) निवेश किया है।

शेष पूंजी सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के कॉर्पोरेट बॉन्डों और एक्सचेंज ट्रेडेड फंडों व अन्य जगहों पर लगाई गई है।

First Published - March 28, 2023 | 8:32 PM IST

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