facebookmetapixel
Waaree Energies के शेयरों में अमेरिका की जांच के चलते 7 फीसदी की भारी गिरावटSME IPO का पहले दिन का जोश ठंडा, 37 फीसदी कंपनियों के शेयर इश्यू प्राइस से नीचे बंदसभी तटीय बंदरगाहों को जोड़ने के लिए 2030 तक 1 लाख करोड़ रुपये का होगा निवेश: नितिन गडकरीछह दशक की सेवा के बाद मिग-21 ने भरी अपनी अंतिम उड़ान, भारतीय आकाश में हुई भव्य विदाईIndian IT Stocks: एक्सेंचर के सतर्क अनुमान ने भारतीय आईटी शेयरों में अल्पकालिक चिंता बढ़ाईGST अधिकारियों ने देशभर के होटलों पर रेस्टोरेंट सेवाओं में कम कर भुगतान पर कसा शिकंजाPM मोदी ने बिहार की महिलाओं को 10-10 हजार रुपये की आर्थिक मदद के साथ सशक्त बनाने का किया ऐलानसरकार ने वित्त वर्ष 2025-26 की दूसरी छमाही में 6.77 लाख करोड़ रुपये उधार लेने की योजना बनाईBSNL का मुनाफा ₹5,000 करोड़ के पार, पिछले वित्त वर्ष से ₹2,300 करोड़ ज्यादा: ज्योतिरादित्य सिंधियाSC ने JSW स्टील की ₹19,700 करोड़ की समाधान योजना को दी मंजूरी, हजारों नौकरियों को मिला सहारा

खाद्य दाम घटने के साथ कम होगी महंगाई, वित्त मंत्रालय की मासिक आर्थिक रिपोर्ट का आकलन

मासिक रिपोर्ट में यह उजागर किया गया है कि भारत के निर्यात को चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। इसका कारण यह है कि विकसित बाजारों में मांग घट रही है।

Last Updated- November 26, 2024 | 1:51 PM IST
inflation base year

खरीफ की जबरदस्त पैदावार की संभावना के कारण आने वाले महीनों में खाद्य महंगाई घटने का अनुमान है। इससे देश में महंगाई का परिदृश्य सुस्त रहेगा। यह जानकारी वित्त मंत्रालय की सोमवार को जारी मासिक आर्थिक रिपोर्ट में दी गई।

रिपोर्ट के अनुसार ‘जबरदस्त कृषि उत्पाद के कारण महंगाई सुस्त हो सकती है जबकि चुनिंदा खाद्य उत्पादों पर महंगाई का दबाव रह सकता है। नवंबर के शुरुआती रुझानों से प्रमुख खाद्य उत्पादों के दाम सुस्त रहने का संकेत मिला है जबकि भूराजनीतिक कारणों से घरेलू महंगाई और आपूर्ति श्रृंखला पर भी असर पड़ सकता है।’

अक्टूबर, 2024 में उपभोक्ता मूल्य मुद्रास्फीति बढ़कर 14 माह के उच्च स्तर 6.2 प्रतिशत हो गई। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक को बढ़ाने में प्रमुख भूमिका दो अंकों की खाद्य महंगाई ने निभाई थी जबकि मुख्य महंगाई 3.8 प्रतिशत के दायरे में रही।

वित्त मंत्रालय की हालिया मुद्रास्फीति नजरिया तब आया है जब विभिन्न सरकारी अधिकारियों ने भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) को दर में कटौती करने का अनुरोध किया था। हालांकि रिजर्व बैंक का लक्ष्य महंगाई को निर्धारित स्तर पर लाने के लिए केंद्रित रहा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बीते सप्ताह बैकों को ब्याज दरें कम करने का आह्वान किया था।

उन्होंने तर्क दिया था कि हालिया उधारी की लागत ‘अत्यधिक दबाव वाली’ है। सीतारमण ने व्यापार मंत्री पीयूष गोयल के ब्याज दरों को कम करने की टिप्पणी के कुछ दिनों बाद बैंकों से यह आह्वान किया था।

दरअसल, गोयल ने कहा था कि अर्थव्यवस्था को बढ़ावा दिया जाने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक ब्याज दरों में कटौती करे। इसके जवाब में रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि समय पूर्व ब्याज दरों में कटौती करने से संतुलन बिगड़ सकता है और मुद्रास्फीति के नजरिये को महत्त्वपूर्ण जोखिम हो सकता है।

मासिक रिपोर्ट में यह उजागर किया गया है कि भारत के निर्यात को चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। इसका कारण यह है कि विकसित बाजारों में मांग घट रही है। इसमें कहा गया कि अमेरिका की नई सरकार की नीतिगत निर्णयों से व्यापार और पूंजीगत प्रवाह की दशा व दिशा तय होगी। इसके अलावा भूराजनीतिक घटनाक्रम और वैश्विक ब्याज दरों का भी असर पड़ सकता है।

वित्त मंत्रालय ने यह टिप्पणी भी की कि रूस और यूक्रेन में जारी हालिया संघर्ष से वित्तीय बाजार के लिए कुछ चिताएं खड़ी हुई है। निवेशकों का रुझान सुरक्षित संपत्तियों जैसे अमेरिकी ट्रेजरी और सोने में हो गया है।

वित्त मंत्रालय ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि वैश्विक घटनाक्रम के परिदृश्य और मॉनसून के मौसम के बाद कुछ समय की सुस्ती के कारण अक्टूबर में भारत में आर्थिक गतिविधियों के उच्च आवृत्ति संकेतकों ने बेहतरी का रुझान दिया है।

वित्त मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार, ‘भारत का आर्थिक दृष्टिकोण आने वाले महीनों के लिए आशावादी है। मॉनसून की अनुकूल स्थितियों, न्यूनतम समर्थन मूल्यों में वृद्धि और इनपुट की पर्याप्त आपूर्ति से कृषि को फायदा होने की उम्मीद है।’

रिपोर्ट में भारतीय रिजर्व बैंक के सर्वेक्षणों में रोजगार की स्थिति और विनिर्माताओं के नौकरी देने के रुझान के कारण शहरी उपभोक्ता की सतर्क तस्वीर का उल्लेख किया गया है।

First Published - November 26, 2024 | 7:45 AM IST

संबंधित पोस्ट