भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की ‘अर्थव्यवस्था की स्थिति’ रिपोर्ट के मुताबिक प्रमुख महंगाई 4 प्रतिशत बनाए रखने के लक्ष्य को खाद्य महंगाई से जोखिम है। रिपोर्ट में कहा गया है कि केंद्रीय बैंक नवंबर और दिसंबर के लिए महंगाई में अनुमानित वृद्धि के हिसाब से तैयारी कर रहा है। इसमें आगे कहा गया है कि कई वस्तुओं की कीमतों में बढ़ोतरी से पिछले 2 महीनों में हासिल की गई प्रगति बाधित होने की संभावना है।
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘साफ है कि प्रमुख महंगाई दर को 4 प्रतिशत के लक्ष्य पर बनाए रखने के आरबीआई के संकल्प के लिए एकमात्र जोखिम खाद्य महंगाई दर है। कई खाद्य वस्तुओं की कीमत पहले से ही बढ़ी हुई हैं। प्याज, टमाटर, अनाज, दालें और चीनी की कीमतें पिछले 2 महीने में मिले लाभ को बाधित करने की क्षमता रखती हैं।
ऐसे में इसी के मुताबिक रिजर्व बैंक नवंबर और दिसंबर में आंकड़ों में वृद्धि की तैयारी कर रहा है।’भारत के उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित महंगाई दर अक्टूबर में गिरकर 4.87 प्रतिशत पर आ गई है। यह जून के बाद से सबसे निचला आंकड़ा है।
सितंबर में महंगाई दर 5.02 प्रतिशत थी। इसके बावजूद खाद्य मूल्य सूचकांक में कुल मिलाकर गिरावट क्रमिक आधार पर अक्टूबर में बढ़ी है और इसने 2 महीने तक महंगाई नीचे जाने की धारणा बदल दी है।
उल्लेखनीय है कि खाद्य श्रेणी में सब्जियों के दाम के सूचकांक में मासिक आधार पर 3.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जो मुख्य रूप से प्याज के दाम में पिछले माह की तुलना में 15.5 प्रतिशत बढ़ोतरी की वजह से है।
उपभोक्ता मूल्य सूचकांक बास्केट में खाद्य वस्तुओं का भार करीब 40 प्रतिशत होता है। सब्जियों का हिस्सा 13.2 प्रतिशत होता है। ऐसे में खाद्य वस्तुएं महंगाई दर में अहम भूमिका निभाती हैं। सब्जियां मूल्य वृद्धि और खाद्य कीमतों में गिरावट में अहम हैं।
प्रमुख महंगाई दर जुलाई में बढ़कर 14 माह के उच्च स्तर 7.44 प्रतिशत पर पहुंच गई, जिसकी वजह सब्जियों खासकर टमाटर की कीमत में तेज बढ़ोतरी थी। रिपोर्ट के मुताबिक महंगाई को कम करने वाली मौद्रिक नीति अर्थव्यवस्था पर अपने मुताबिक काम कर रही है। इससे महंगाई का दबाव धीरे धीरे कम हो रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि उपभोक्ता महंगाई 3 महीने में निचले स्तर पर आ गई। उल्लेखनीय है कि प्रमुख महंगाई 200 आधार अंक घटने के जनवरी 2023 के शीर्ष स्तर से गिरकर 43 माह के निचले स्तर पर पहुंच गई।
इन कवायदों के बावजूद रिपोर्ट में जोर दिया गया है कि हम अभी इससे बाहर नहीं निकले हैं और अभी लंबी दूरी तय करनी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि ‘महंगाई को कम करने वाली मौद्रिक नीति अर्थव्यवस्था के माध्यम से अपना काम कर रही है।’
हालांकि रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि मौजूदा अनुमानों और आम सहमति से संकेत मिलता है कि दूसरी तिमाही की वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर केंद्रीय बैंक के 6.5 प्रतिशत से अधिक होने की ओर अग्रसर है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस आशावादी दृष्टिकोण से दूसरी तिमाही के कंपनियों के आंकड़ों से भी समर्थन मिल रहा है। खासकर तेल और गैस, ऑटोमोबाइल और निर्माण क्षेत्र में मुनाफा बढ़ा है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में जीडीपी में बदलाव क्रमिक है और 2023-24 की तीसरी तिमाही में त्योहारी मांग की वजह से यह अधिक रहने की संभावना है।
वैश्विक स्थिति को लेकर रिपोर्ट में कहा गया है कि कई अर्थव्यवस्थाओं में अभी महंगाई दर ज्यादा है, लेकिन धीरे धीरे इसमें कमी आने की स्थिति बन रही है। अमेरिका में खुदरा महंगाई अक्टूबर में 3.2 प्रतिशत हो गई, जो सितंबर के 3.7 प्रतिशत से कम है। इसके साथ ही प्रमुख व्यक्तिगत खपत व्यय (पीसीई) महंगाई में सितंबर में लगातार तीसरे महीने स्थिरता बरकरार है। वही प्रमुख पीसीई महंगाई थोड़ी घटकर 3.7 प्रतिशत पर है।
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘बहुत धीरे धीरे महंगाई घटने की राह पर है, लेकिन यह अभी भी ज्यादातर देशों में लक्ष्य से ऊपर है।’