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महंगाई ने उद्योग जगत को रुलाया

Last Updated- December 06, 2022 | 11:00 PM IST

बढ़ती महंगाई और सरकार के बीच चल रही जंग का असर उद्योग जगत पर नजर आने लगा है।


उद्योग जगत ने 2007-08 के आखिरी महीने में खराब प्रदर्शन किया। महंगाई के साथ-साथ खराब आधारभूत ढांचे और खस्ताहाल बिजली ने भी रंग दिखाया है। मुद्रास्फीति की ऊंची दर से जूझ रही सरकार के लिए यह एक नया झटका है। इस मंदी का सीधा असर अर्थव्यवस्था के विकास पर पड़ सकता है। 


औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) में दो तिहाई योगदान करने वाले विनिर्माण क्षेत्र ने खराब प्रदर्शन किया। इसकी वृध्दि दर 2.9 प्रतिशत रही जो मार्च 2007 में 16 प्रतिशत थी। बिजली क्षेत्र का भी बुरा हाल रहा और 3.7 प्रतिशत की वृध्दि दर दर्ज की गई। औद्योगिक उत्पादन की वृध्दि दर गिरकर 8.1 प्रतिशत रह गई ।


बुनियादी ढांचे में हो सुधार: एसोचैम


बढ़ती महंगाई और गिरते औद्योगिक उत्पादन से उद्योग जगत भी खासा चिंतित है। उद्योग चैंबर एसोचैम का कहना है कि बढ़ती मुद्रास्फीति की दर और बिजली की खराब हालत के चलते औद्योगिक उत्पादन गिरा है। मार्च 2008 में उद्योग क्षेत्र का प्रदर्शन 14.8 प्रतिशत से 3 प्रतिशत गिरने पर एसोचैम के अध्यक्ष वेणुगोपाल धूत ने कहा कि औद्योगिक उत्पादन में आई गिरावट के लिए बढ़ती महंगाई सीधे तौर पर जिम्मेदार है।


उन्होंने कहा कि महंगाई बढ़ने से उद्योगों में प्रयोग होने वाले कच्चे माल का खर्च काफी बढ़ गया है। तेल की बढ़ती कीमतों से ढुलाई की व्यवस्था चरमरा गई है। इन दोनों ने मिलकर औद्योगिक उत्पादन पर बुरा प्रभाव डाला है। उन्होंने कहा कि गिरावट का तीसरा बड़ा कारण यह है कि भारत के औद्योगिक क्षेत्र को समुचित रूप से बिजली की आपूर्ति नहीं हो रही है। औद्योगिक मूल्य सूचकांक में भी बिजली का हाल बहुत बुरा रहा है। इस पर खास ध्यान दिए जाने की जरूरत है।


एसोचैम का मानना है कि इन कारकों का उद्योग जगत पर सीधा प्रभाव पड़ा है।  इससे न केवल औद्योगिक उत्पादन प्रभावित हुआ है बल्कि मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर पर भी बुरा असर पड रहा है। अगर यही हाल रहा तो भारत के 2008-09 के सकल घरेलू उत्पाद के अनुमानित आंकड़ों पर भी प्रभाव पड़ेगा। धूत ने सरकार से अपील की है कि मूलभूत सुविधाओं पर खास ध्यान दिए जाने की जरूरत है, जिससे औद्योगिक उत्पादन को बढ़ावा मिले।


ब्याज दरों में हो सुधार: फिक्की


उधर उद्योग संगठन फिक्की ने विनिर्माण क्षेत्र की मंदी को देखते हुए ब्याज दरों में सुधार किए जाने की मांग की है। फिक्की के सेक्रेटरी जनरल अमित मित्रा ने कहा कि सरकार को ब्याज दरों में सुधार करके उद्योग जगत को बेहतर माहौल देना चाहिए।


मित्रा ने कहा, ‘विनिर्माण क्षेत्र का प्रदर्शन 2008-09 की पहली तिमाही में खराब रहने की संभावना व्यक्त की जा रही है। भारतीय उद्योग जगत के लोग कच्चे माल की कीमतों और ब्याज दरों की बढ़ोतरी से चिंतित हैं।’ फिक्की ने कहा कि बढ़ी हुई ब्याज दरों से पिछले एक साल से विनिर्माण क्षेत्र पिट रहा है। साथ ही कच्चे माल की कीमतें भी बढ़ गई हैं।


फिक्की का मानना है कि विनिर्माण क्षेत्र की मंदी को रोकने के लिए सरकार को तत्काल वित्तीय कदम उठाना चाहिए। इससे कच्चे माल की कीमतों को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी।  साथ ही मांग को बढ़ावा मिलेगा, जिससे वर्तमान वैश्विक मंदी से भी राहत मिलेगी। साथ ही उद्योग जगत को सही माहौल दिए जाने के लिए ब्याज दरों में संशोधन भी जरूरी है।


राजनीति पर भी आंच


उद्योग जगत के खराब प्रदर्शन के बाद राजनीतिक तपिश भी बढ़ गई है। प्रमुख विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी ने कहा कि सरकार केपास कोई वास्तविक नीति नहीं है। उन्होंने कहा कि औद्योगिक उत्पादन सूचकांक में आई गिरावट का सीधा मतलब है कि आर्थिक विकास के दिन समाप्त हो रहे हैं।


भाजपा प्रवक्ता प्रकाश जावडेकर ने कहा, ‘जितना नजर आ रहा है, उससे भी कहीं ज्यादा संकट है। नीति नियंताओं को चाहिए कि वे तत्काल नीतिगत परिवर्तन करें। हम देख रहे हैं कि एक क्षेत्र के बाद दूसरे क्षेत्र में लगातार गिरावट आ रही है। सरकार कुछेक कदम उठाने के बाद हाथ पर हाथ धरे बैठी है।’


उन्होंने कहा, ‘कृषि क्षेत्र में पहले ही मंदी का रुख है। इस क्षेत्र में विकास दर 2 प्रतिशत है। औद्योगिक विकास दर में 3 प्रतिशत की गिरावट आई है। हम जानना चाहते हैं कि सरकार इस हालत में क्या कदम उठाने जा रही है।’ उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि वास्तविक सुधारों को लागू किया जाए।

First Published - May 12, 2008 | 10:23 PM IST

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