रेटिंग एजेंसी मूडीज का कहना है कि बढ़ती कीमतों पर नियंत्रण पाने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक मौद्रिक नीति में और कठोर कदम उठा सकता है जबकि रेटिंग एजेंसी ने देश की विकास दर केभी धीमी होकर 7.6 फीसदी के हिसाब से भी ऐसी की संभावना व्यक्त की है।
अपनी रिपोर्ट मैक्रो राउंडअप में एजेंसी ने कहा कि यदि आने वाले हफ्तों में महंगाई का बढ़ना जारी रहता है तो भारतीय रिजर्व बैंक के पास ब्याज दरों में वृध्दि के अलावा कोई दूसरा उपाय नहीं होगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि देश की विकास दर पिछले साल के नौ फीसदी की तुलना में घटकर 7.6 फीसदी केस्तर पर रह सकती है।
वैश्विक कमोडिटी की कीमतों और अनाज की कीमतों में हुई वृध्दि से महंगाई सबसे ज्यादा बढ़ी है। आरबीआई इस साल की शुरुआत से अब तक रेपो रेट में 1.25 फीसदी और कैश रिजर्व रेशियो में 1.5 फीसदी की वृध्दि कर चुका है और दोनों अब नौ फीसदी के स्तर पर हैं।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में आई गिरावट से भी महंगाई पर कोई असर नहीं पड़ा है क्योंकि घरेलू स्तर पर कीमतें पहले से ही काफी कम हैं। हालांकि तेल में आई गिरावट से अब सरकार को आगे घरेलू स्तर पर तेल के दामों को बढ़ाने से छुटकारा मिला है। इसके अलावा आगे लोकसभा चुनावों के चलते भी सरकार कोई ऐसा नीतिगत फैसला नहीं करना चाहती है जिससे सामाजिक असंतोष बढ़े।
महंगाई का स्तर भारतीय रिजर्व बैंक के मौद्रिक उपायों के बावजूद 13 सालों के सर्वोत्तम स्तर 12.66 फीसदी के स्तर पर पहुंच चुका है। रेटिंग एजेंसी ने संभावना व्यक्त की है कि महंगाई की दर दूसरी तिमाही में अपने सर्वोत्तम स्तर पर पहुंच सकती है और साल के अंत तक इसके एकहरे अंकों में पहुंचने की संभावना है।
जीडीपी ग्रोथ पर एजेंसी ने कहा कि महंगाई को नियंत्रण में रखने के लिए उठाए गए कदमों की वजह से आर्थिक विस्तार की रफ्तार के धीमें पडने की संभावना है। ज्ञातव्य है कि ारबीआई ने पहले ही साफ कर दिया था कि महंगाई को नीचे लाना उसकी प्राथमिकता है।