बेलगाम महंगाई पर हाल-फिलहाल में गिरावट के संकेत नहीं हैं, लेकिन अर्थव्यवस्था की विकास दर जरूर सुस्त पड़ सकती है।
दरअसल, प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद ने बुधवार को वर्ष 2008-09 का आर्थिक आकलन पेश किया, जिसमें आर्थिक विकास दर 7.7 प्रतिशत रहने का अनुमान व्यक्त किया है, जबकि इससे पहले विकास दर 8.5 प्रतिशत रहने की उम्मीद जताई थी। हालांकि पिछले वित्त वर्ष में विकास दर 9 फीसदी रही थी।
वित्त वर्ष 2008-09 के लिए आर्थिक नजरिया पेश करते हुए परिषद ने कहा कि मुद्रास्फीति की दर को मार्च 2009 तक घटाकर 8 से 9 फीसदी के बीच लाया जा सकता है, लेकिन इसके लिए सरकार को नीतिगत उपाय अपनाने होंगे।
सी. रंगराजन ने कहा कि अभी महंगाई दर में और इजाफा हो सकता है और यह 13 प्रतिशत के स्तर को छू सकती है, लेकिन दिसंबर तक इसमें गिरावट आना शुरू हो जाएगी। परिषद के निवर्तमान अध्यक्ष सी. रंगराजन ने बताया कि अर्थव्यवस्था को सही रास्ते पर लाने के लिए कठोर मौद्रिक उपाय जरूरी हैं।
परिषद ने कहा कि महंगाई दर में बढ़ोतरी विश्व स्तर पर उत्पादों की बढ़ती कीमतों के कारण हुई है। इसके साथ ही राजकोषीय घाटा लक्ष्य से अधिक रहने की आशंका जताई गई और राजस्व घाटा बने रहने के संकेत दिए। इसने कहा कि चालू खाता घाटा 2008-09 के दौरान जीडीपी का 3.2 प्रतिशत रहने का अनुमान है, जो 2007-08 के दौरान 1.5 प्रतिशत था।
रंगराजन ने कहा कि कृषि, उद्योग और सेवा क्षेत्रों में मंदी चल रही है और विकास के लिहाज से अंतरराष्ट्रीय परिस्थितियां भी अनुकूल नहीं हैं। ऐसे में कृषि क्षेत्र की वृध्दि दर चालू वित्त वर्ष में 2 प्रतिशत रहने की उम्मीद है, जबकि पिछले वित्त वर्ष में यह 4.5 प्रतिशत थी।
वहीं औद्योगिक क्षेत्र की वृध्दि दर 8.5 प्रतिशत से गिरकर 7.5 प्रतिशत रहने की संभावना है, जबकि सेवा क्षेत्र 10.8 प्रतिशत से गिरकर 9.6 प्रतिशत रहने की उम्मीद है।
जीडीपी विकास दर 7.7 प्रतिशत रहने का अनुमान, पिछले वित्त वर्ष में 9 फीसदी थी
कृषि विकास 2 फीसदी रहने का अनुमान
औद्योगिक विकास दर 8.5 प्रतिशत से गिरकर 7.5 प्रतिशत रहने की संभावना
महंगाई दर 13 फीसदी के स्तर को छू सकती है