सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय ने दिसंबर तिमाही के आंकड़ों के साथ वित्त वर्ष 2022-23 के लिए सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का दूसरा अग्रिम अनुमान (advance estimate) मंगलवार को जारी कर दिया। मंत्रालय ने वित्त वर्ष 2021-22 के लिए इकोनॉमिक ग्रोथ का नया अनुमान भी जारी किया।
सरकार के आंकड़ों के अनुसार, चालू वित्त वर्ष की तीसरी यानी अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में वृद्धि दर धीमी होकर 4.4 फीसदी रही। यह इससे पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही में 11.2 प्रतिशत पर रही थी। मुख्य रूप से विनिर्माण क्षेत्र (manufacturing sector) के खराब प्रदर्शन के कारण इसमें सुस्ती आई है।
वहीं, वित्त वर्ष 2021-22 के लिए देश की आर्थिक वृद्धि को 8.7 प्रतिशत के पिछले अनुमान से संशोधित कर 9.1 प्रतिशत कर दिया है।
साथ ही सरकार ने वित्त वर्ष 2022-23 के लिए इकोनॉमिक ग्रोथ के अपने अनुमान कोई बदलाव नहीं किया है और इसके सात प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है।
विनिर्माण क्षेत्र के ग्रोथ रेट में दिसंबर तिमाही में 1.1 प्रतिशत की गिरावट
दूसरी तरफ, agriculture सेक्टर और माइनिंग सेक्टर में ग्रोथ रेट पिछली तिमाही के दौरान 3.7 प्रतिशत पर रहा जबकि विनिर्माण क्षेत्र के ग्रोथ रेट में दिसंबर तिमाही में 1.1 प्रतिशत की गिरावट आई है।
जीडीपी का दूसरा अग्रिम अनुमान इस मायने में महत्वपूर्ण है, क्योंकि भारतीय रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष के लिए जीडीपी वृद्धि दर का अनुमान घटाकर 6.8 प्रतिशत कर दिया है। आरबीआई ने इससे पहले सात प्रतिशत वृद्धि की उम्मीद जताई थी।
रिजर्व बैंक ने 2022-23 में रियल जीडीपी वृद्धि दर के 6.8 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया था। चालू वित्त वर्ष की तीसरी और चौथी तिमाही में इसके क्रमश: 4.4 प्रतिशत और 4.2 प्रतिशत रहने की उम्मीद थी।
वित्त वर्ष 2022-23 में एशियाई विकास बैंक (एडीबी) ने भारतीय अर्थव्यवस्था में सात प्रतिशत विस्तार का अनुमान लगाया है, जबकि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने वृद्धि दर 6.8 प्रतिशत रहने की बात कही है।