अप्रैल में भारत के निजी क्षेत्र का उत्पादन 8 महीनों में सबसे तेजी से बढ़ा है। एक निजी एजेंसी ने बुधवार को कहा कि नए कारोबार, खासकर वस्तु व सेवाओं की अंतरराष्ट्रीय मांग में तेजी के कारण ऐसा हुआ है। एसऐंडपी ग्लोबल द्वारा संकलित एचएसबीसी फ्लैश इंडिया कंपोजिट पर्चेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (पीएमआई)बढ़कर 60 पर पहुंच गया, जो मार्च में 59.5 था। इस सूचकांक से दो क्षेत्रों के संयुक्त उत्पादन के मासिक बदलाव का पता चलता है। अगर 50 अंक रहते हैं तो कोई बदलाव नहीं होता है, जबकि इससे कम पर संकुचन और अधिक पर प्रसार का पता चलता है। लगातार 45वें महीने इसमें प्रसार हुआ है।
सर्वे में कहा गया है, ‘भारत में निजी क्षेत्र की कंपनियों ने वित्त वर्ष 2025-26 की शुरुआत में कुल नए कारोबार में तेज वृद्धि का स्वागत किया है। इसे वस्तुओं और सेवाओं की अंतरराष्ट्रीय मांग से बढ़ावा मिला है। कुल मिलाकर नए निर्यात ऑर्डर सितंबर 2024 में नई सीरीज की शुरुआत के बाद सबसे तेजी से बढ़े हैं। सर्वे में हिस्सा लेने वालों ने कहा कि उन्हें हर देश से लाभ हुआ है।’
नए बिजनेस ऑर्डर में तेज वृद्धि से सेवा की तुलना में विनिर्माण तेजी से बढ़ा। मैन्युफैक्चरिंग फ्लैश पीएमआई में नए ऑर्डर, आउटपुट, रोजगार, आपूर्तिकर्ता की डिलिवरी का वक्त और इन्वेंट्री शामिल होते हैं, यह अप्रैल में सुधरकर 58.4 पर पहुंच गया, जो मार्च में 58.1 था। सर्वे में कहा गया है कि भारत के निजी क्षेत्र में कार्यरत कंपनियों ने कहा है कि दक्षता में वृद्धि, सकारात्मक मांग और सफल विज्ञापन के कारण उत्पादन का स्तर बढ़ा है।
कुछ पैनलिस्टों ने अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धात्मकता में भी सुधार के बारे में जानकारी दी है, जो डॉलर के मुकाबले रुपया कमजोर होने के कारण हुआ है। एचएसबीसी में भारत की मुख्य अर्थशास्त्री प्रांजुल भंडारी ने कहा कि नए निर्यात ऑर्डर तेजी से बढ़े, संभवतः इसकी वजह यह है कि ट्रंप शुल्क को 90 दिन के लिए रोका गया।
क्षमता बढ़ाने के दबाव के कारण दोनों सेक्टर की कंपनियों ने अतिरिक्त कर्मचारियों की भर्ती जारी रखी है। वास्तविक साक्ष्यों से पता चला है कि अप्रैल में पूर्णकालिक और अंशकालिक कर्मचारियों की भर्ती की गई थी। वस्तु उत्पादकों और सेवा प्रदाताओं के बीच रोजगार सृजन की दर समान थी।