चीन, सऊदी अरब, ईराक, दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया और सिंगापुर से उत्पादों की मांग में कमी के कारण भारत का आयात जनवरी महीने में 17 माह के निचले स्तर 50.6 अरब डॉलर पर पहुंच गया है।
भारत के शीर्ष 10 आयात साझेदारों में से सिर्फ संयुक्त अरब अमीरात (12.1 प्रतिशत), अमेरिका (27.4 प्रतिशत), रूस (297.4 प्रतिशत) और इंडोनेशिया (22.9 प्रतिशत) से होने वाला आयात बढ़ा है। बिजनेस स्टैंडर्ड की समीक्षा के मुताबिक शीर्ष 10 देशों की भारत के कुल आयात में हिस्सेदारी 60 प्रतिशत से ज्यादा है।
रूस से आयात सबसे ज्यादा तेज बढ़ा है और यह जनवरी में एक साल पहले की समान अवधि की तुलना में 4 गुना बढ़कर 4.48 अरब डॉलर हो गया है।
रूस अब अमेरिका और यूएई से आगे निकल गया है। यह तेज बढ़ोतरी मुख्य रूप से सस्ते तेल आयात की वजह से हुई है, जो भारत रूस से खरीद रहा है। मूल्य के हिसाब से देखें तो जनवरी में रूस भारत का दूसरा सबसे बड़ा आयात साझेदार है, जबकि पहले स्थान पर चीन है।
पिछले कई साल से चीन भारत का सबसे बड़ा आयात साझेदार बना हुआ है और दिलचस्प है कि जनवरी में चीन से होने वाला आयात 13 प्रतिशत कम हुआ है। सरकार चीन व अन्य देशों से उत्पाद के मुताबिक हुए आयात के आंकड़े अभी तैयार कर रही है, लेकिन मांग में कमी की वजह कोविड 19 के कारण आयात में कमी के साथ कमजोर घरेलू मांग हो सकती है।
सऊदी अरब और ईराक कच्चे तेल के मुख्य़ आपूर्तिकर्ता हैं, जहां से आयात क्रमशः 14.3 प्रतिशत और 11.2 प्रतिशत कम हुआ है। दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया और सिंगापुर से आयात क्रमशः 14.1 प्रतिशत, 26.7 प्रतिशत और 9.8 प्रतिशत कम हुआ है।
बुधवार को जारी जनवरी के कारोबार के आंकड़ों से पता चलता है कि पिछले साल की तुलना में आयात 3.6 प्रतिशत कम हुआ है और पिछले मंहीने की तुलना में आयात 13 प्रतिशत कम हुआ है।
इसकी कई वजहें हैं, जिसमें सरकार द्वारा गैर जरूरी आयात जैसे सोने पर लगाम लगाना, कमजोर घरेलू मांग और जिंसों की कीमत कम होना है। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने भी कहा कि आयात में गिरावट से यह भी संकेत मिलता है कि मेक इन इंडिया कार्यक्रम सफल हो रहा है। समग्र आधार पर आयात अप्रैल-जनवरी के दौरान करीब 22 प्रतिशत बढ़कर 602.19 अरब डॉलर रहा है, क्योंकि रूस और यूक्रेन के बीच टकराव के कारण जिंस की कीमत अधिक थी और आयात की लागत बढ़ गई थी।
आयात के 30 प्रमुख क्षेत्रों में से कम से कम 17 क्षेत्रों में आयात घटा है। इसमें अकार्बनिक रसायन, प्लास्टिक, मोती, कीमती व कम कीमती पत्थर, मशीनरी, इलेक्ट्रॉनिक सामान व अन्य शामिल हैं।
जहां तक निर्यात का प्रश्न है, भारत के शीर्ष 10 निर्यात साझेदारों में से 6 जगहों पर निर्यात घटा है, जिसमें अमेरिका, चीन, सिंगापुर, बांग्लादेश, ब्राजील और जर्मनी शामिल हैं। इसकी वजह से कुल निर्यात में 6.5 प्रतिशत कमी आई है। इन 10 देशों की भारत के कुल निर्यात में हिस्सेदारी 47.7 प्रतिशत है।
भारत से वाणिज्यिक वस्तुओं का निर्यात जनवरी महीने में पिछले साल की तुलना में 6.5 प्रतिशत घटकर 32.91 अरब डॉलर हो गया है। केंद्रीय बैंकों द्वारा मौद्रिक नीति सख्त करने की वजह से प्रमुख बाजारों से मांग घटी है। पिछले महीने की तुलना में निर्यात 4.5 प्रतिशत कम हुआ है।
एक दशक से अमेरिका भारत का सबसे बड़ा निर्यात बाजार है। जनवरी में अमेरिका को हुए निर्यात का मूल्य 12.1 प्रतिशत कम होकर 5.7 अरब डॉलर रह गया।
चीन के मामले में पिछले महीने की तुलना में संकुचन 11.3 प्रतिशत रहा है, जो भारत का दूसरा बड़ा कारोबारी साझेदार है और चौथा सबसे बड़ा निर्यात साझेदार है। चीन में कोविड-19 को लेकर सख्ती से आर्थिक गतिविधियों में आई सुस्ती के कारण ऐसा हुआ है।
वहीं 4 देशों संयुक्त अरब अमीरात (3.7 प्रतिशत), नीदरलैंड (33.3 प्रतिशत), ब्रिटेन (8.1 प्रतिशत) और सउदी अरब (77.2 प्रतिशत) में निर्यात बढ़ा है।