वित्त वर्ष 2024-25 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर 7 फीसदी से ऊपर और यहां तक कि 7.5 फीसदी के करीब रह सकती है। नैशनल काउंसिल ऑफ अप्लायड इकनॉमिक रिसर्च (एनसीएईआर) की ओर से बुधवार को जारी मासिक आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था के लचीलापन और विकास की गतिशीलता को दिखाने वाले उच्च आवृत्ति वाले संकेतकों से यह पता चलता है।
एनसीएईआर की महानिदेशक पूनम गुप्ता ने कहा, ‘पहली तिमाही के दौरान आर्थिक गतिविधियों में देखी गई तेजी, निवेश को लेकर नीतिगत ध्यान, वृद्धि और वृहद आर्थिक स्थिरता और सामान्य मॉनसून को देखते हुए ऐसे परिदृश्य के संकेत मिल रहे हैं।’
भारतीय रिजर्व बैंक ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए भारत के वास्तविक जीडीपी वृद्धि का अनुमान 7 फीसदी से बढ़ाकर 7.2 फीसदी कर दिया है। अन्य कई एजेंसियों ने वृद्धि अनुमान बढ़ाया है और कुल मिलाकर सभी के वृद्धि अनुमान का औसत 6.9 फीसदी है।
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ), विश्व बैंक के साथ अन्य रेटिंग एजेंसियों ने 2024 के लिए वैश्विक वृद्धि का अनुमान बढ़ा दिया है। 2024 के लिए वृद्धि अनुमान 3.2 से 2.6 फीसदी के बीच है। भारत की अर्थव्यवस्था को लेकर गुप्ता ने कहा कि महंगाई दर शीर्ष स्तर पर पहुंच गई दिख रही है और आगे मौद्रिक सख्ती की कोई संभावना नहीं है। उन्होंने कहा कि अगर कुछ होना है तो साल के दौरान नरमी ही हो सकती है।
गुप्ता ने कहा, ‘अब तक कोई वैश्विक जोखिम दिख नहीं रहा है और इसकी अनुपस्थिति में वैश्विक माहौल बेहतर है।’
गुप्ता ने कहा कि मई में खुदरा महंगाई घटकर 12 महीने के निचले स्तर 4.7 फीसदी पर आ गई है, लेकिन खाद्य महंगाई दर पर काबू पाना अभी भी चुनौतीपूर्ण है। गुप्ता ने कहा कि इस मसले के समाधान के लिए व्यापक नीतिगत ढांचा बनाए जाने की जरूरत है।