भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर जुलाई-सितंबर में गोता खाकर 5.4 फीसदी रह गई थी मगर अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में यह एक बार फिर उछाल खाती दिख रही है। भारतीय रिजर्व बैंक ने अर्थव्यवस्था की स्थिति पर अपनी रिपोर्ट में उच्च बारंबरता वाले संकेतकों के आधार पर यह अनुमान जताया है।
आज जारी रिपोर्ट में कहा गया है, ‘2024-25 की तीसरी तिमाही के लिए उच्च बारंबारता वाले संकेतक बता रहे हैं कि भारतीय अर्थव्यवस्था दूसरी तिमाही में आई सुस्ती से उबर रही है। त्योहार के दौरान बढ़ी गतिविधियां और ग्रामीण मांग में लगातार तेजी इसकी वजह हैं।’ रिपोर्ट को केंद्रीय बैंक के डिप्टी गवर्नर माइकल पात्र और अन्य कर्मचारियों ने लिखा है। मगर इस रिपोर्ट में लेखकों के विचार हैं, रिजर्व बैंक के नहीं।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारत की वृद्धि 2024-25 की दूसरी छमाही में रफ्तार पकड़ने वाली है और ऐसा लगातार टिकाऊ देसी निजी खपत के कारण होगा। रिपोर्ट कहती है, ‘रिकॉर्ड खाद्यान्न उत्पादन के कारण खास तौर पर ग्रामीण मांग बढ़ रही है। बुनियादी ढांचे पर सरकार के लगातार व्यय से भी आर्थिक गतिविधियों और निवेश को बल मिलने की उम्मीद है।’
चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर 6.8 फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया है। अनुमान के मुताबिक चौथी तिमाही में दर 6.5 फीसदी रह सकती है। रिजर्व बैंक ने दिसंबर में मौद्रिक नीति की समीक्षा के दौरान इस वित्त वर्ष के लिए वृद्धि का अनुमान 7.2 फीसदी से घटाकर 6.8 फीसदी कर दिया था।
रिपोर्ट में कहा गया कि वैश्विक घटनाक्रम वृद्धि तथा मुद्रास्फीति के अनुमान को झटका दे सकते हैं। रिपोर्ट कहती है, ‘अब मुद्रास्फीति पर अंकुश लगाने और निवेश को तेजी से पटरी पर लाने का समय है क्योंकि सर्दियां आ गई हैं और खाद्य कीमतें कम हो रही हैं। साथ ही निजी खपत और निर्यात बढ़ने की संभावनाएं भी बढ़ती जा रही हैं।’ इसके साथ ही कृषि तथा ग्रामीण खपत की संभावनाएं भी उजली हैं और तीसरी तिमाही के जीडीपी अनुमान में खरीफ की कटाई का बड़ा हिस्सा भी शामिल होगा।
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आर्थिक गतिविधि सूचकांक ने नवंबर में सक्रियता बढ़ती दिखाई है, जिसके आधार पर तीसरी तिमाही में 6.8 फीसदी वृद्धि का अनुमान लगाया गया है। रिपोर्ट में कहा गया, ‘उच्च बारंबरता वाले संकेतक बता रहे हैं कि अक्टूबर-नवंबर 2024 में भी कुल मांग बढ़ती रही। नवंबर में ई-वे बिल की संख्या पिछले साल नवंबर से 16.3 फीसदी ज्यादा रही। नवंबर में टोल संग्रह भी रकम तथा फेरों के लिहाज से दो अंकों में बढ़ा।’
रिपोर्ट में कहा गया है कि नवंबर में समग्र महंगाई की रफ्तार 5.5 फीसदी रही, जो अक्टूबर की 6.2 फीसदी वृद्धि से धीमी रही। दिसंबर के लिए (19 तारीख तक) खाद्य मूल्य के आंकड़े चावल की कीमतों में गिरावट दर्शा रहे थे मगर गेहूं और आटे के भाव ऊंचे बने हुए थे।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि दिसंबर में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने भारतीय डेट में निवेश ज्यादा किया और निकासी कम की। इससे पहले अक्टूबर और नवंबर में उन्होंने निकासी अधिक की थी।
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