facebookmetapixel
ग्लोबल फिनटेक फेस्ट 2025 : आईटी व डिजिटल को बेहतर बनाने का लक्ष्यSBI चेयरमैन शेट्टी ने कहा: ECL अपनाने से बैंक के बही खाते पर सीमित असरAI दिग्गजों की भारत पर नजर, इनोवेशन को मिलेगा बढ़ावाग्लोबल फिनटेक फेस्ट 2025 : साल 2026 में शुरू हो सकता है फिनटरनेटयूनीफाइड मार्केट इंटरफेस पर हो रहा काम, बढ़ती डिजिटल धोखाधड़ी बन रही बड़ी समस्या : RBI गवर्नरअमेरिकी सरकार के शटडाउन का व्यापार समझौते पर असर! हालात का जायजा ले रहा भारत: पीयूष गोयलसितंबर में दोगुना से ज्यादा बिके इलेक्ट्रिक यात्री वाहन, टाटा मोटर्स निकली आगेस्मार्टफोन निर्यात में बड़ी तेजी, सितंबर में अमेरिका को निर्यात हुआ तीन गुनाश्रम मंत्रालय नियामक नहीं, बनेगा रोजगार को बढ़ावा देने वाली संस्थाएफएमसीजी क्षेत्र की कंपनियों ने दिए राजस्व नरम रहने के संकेत

भारत को विकसित देश बनने के लिए 75 साल का सफर तय करना होगा: विश्व बैंक की रिपोर्ट

इस रिपोर्ट में विकासशील देशों को "मध्यम आय की जाल" से बाहर निकलने के लिए एक व्यापक रोडमैप भी दिया गया है।

Last Updated- August 01, 2024 | 10:17 PM IST
India's GDP growth rate estimated at 6.4%, slowest in four years भारत की GDP ग्रोथ रेट 6.4% रहने का अनुमान, चार साल में सबसे धीमी

विश्व बैंक की एक नई रिपोर्ट के अनुसार, भारत को वर्तमान दर से अमेरिका की जीडीपी का एक चौथाई हिस्सा हासिल करने में 75 साल लग सकते हैं। इस रिपोर्ट में विकासशील देशों को “मध्यम आय के जाल” से बाहर निकलने के लिए एक व्यापक रोडमैप भी दिया गया है।

‘वर्ल्ड डेवलपमेंट रिपोर्ट 2024’ नामक इस रिपोर्ट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 2047 तक देश को विकसित अर्थव्यवस्था बनाने या एक पीढ़ी के भीतर उच्च आय का दर्जा हासिल करने की महत्वाकांक्षा पर प्रकाश डाला गया है। यह भी पता चलता है कि भारत, चीन, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका सहित 100 से अधिक देशों को आने वाले दशकों में उच्च आय का दर्जा हासिल करने में बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा।

भारत को विकसित देश बनने के लिए लंबा सफर तय करना होगा

भारत को एक विकसित देश बनने के लिए अगले 20-30 साल तक लगातार 7-10 प्रतिशत की दर से बढ़ने की जरूरत है। ऐसा करने से ही भारत मध्यम आय वाली अर्थव्यवस्था के जाल से बाहर निकल सकता है और 2047 तक एक विकसित देश बन सकता है। उस समय देश की प्रति व्यक्ति आय 18,000 डॉलर सालाना होगी और अर्थव्यवस्था का आकार 30 ट्रिलियन डॉलर होगा।

निति आयोग ने कहा है कि भारत की वर्तमान जीडीपी 3.36 ट्रिलियन डॉलर है, जिसे 9 गुना बढ़ाकर 30 ट्रिलियन डॉलर करना होगा। साथ ही, प्रति व्यक्ति आय को मौजूदा 2,392 डॉलर से बढ़ाकर 8 गुना यानी 18,000 डॉलर सालाना करना होगा।

दूसरी तरफ, विश्व बैंक का कहना है कि भारत समेत मध्यम आय वाले देशों की अर्थव्यवस्था की बढ़त धीमी पड़ रही है। जैसे-जैसे इन देशों की आय बढ़ रही है, वैसे-वैसे उनकी आर्थिक वृद्धि की रफ्तार कम होती जा रही है।

पुराने तरीकों से नहीं बनेंगे विकसित देश

विश्व बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री इंदरमीत गिल का कहना है कि कई मध्यम आय वाले देश पिछली सदी की पुरानी रणनीतियों पर ही चल रहे हैं। ये देश मुख्य रूप से निवेश बढ़ाने वाली नीतियों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। गिल का मानना है कि अगर ये देश पुराने तरीके अपनाते रहे तो इस सदी के मध्य तक ज्यादातर विकासशील देश एक अच्छे समाज बनाने की दौड़ हार जाएंगे।

विश्व बैंक के एक लंबी अवधि के विकास मॉडल के अनुसार, अगर मध्यम आय वाले देश मानव पूंजी, उत्पादकता, श्रम शक्ति की भागीदारी और निवेश में पिछले रुझानों के हिसाब से ही काम करते रहे तो इन देशों की आर्थिक वृद्धि 2024 से 2100 के बीच काफी धीमी हो जाएगी।

रिपोर्ट में भारत, मैक्सिको और पेरू की कंपनियों की बात की गई है। इन देशों में एक कंपनी 40 साल तक चलने पर आमतौर पर अपने आकार को दोगुना कर पाती है। जबकि अमेरिका में इतने समय में एक कंपनी सात गुना बढ़ जाती है। इसका मतलब है कि मध्यम आय वाले देशों में नई कंपनियों का विकास कम होता है। इसके अलावा, इन देशों में ज्यादातर कंपनियां बहुत छोटी होती हैं। लगभग नौ में से आठ कंपनियों में पांच से कम कर्मचारी होते हैं और बहुत कम कंपनियों में 10 या उससे ज्यादा कर्मचारी होते हैं।

छोटी कंपनियां और विकास की राह

रिपोर्ट में कहा गया है कि बहुत सारी छोटी-छोटी कंपनियां हैं जो बहुत सालों से चल रही हैं, ये कंपनियां बड़ी बनी ही नहीं पातीं। छोटी होने के बावजूद ये कंपनियां इसलिए चल पाती हैं क्योंकि बाजार में कुछ गड़बड़ है, यानी सबकुछ सही तरीके से नहीं चल रहा है। अगर बाजार में सबकुछ सही तरीके से चलता तो शायद ये छोटी कंपनियां इतने सालों तक नहीं चल पातीं।

रिपोर्ट में उच्च आय वाला देश बनने के लिए “3i रणनीति” की बात की गई है। इसके तहत मध्यम आय वाले देशों को दो अलग-अलग तरह से बदलना होगा। पहले चरण में इन देशों को सिर्फ निवेश बढ़ाने से हटकर निवेश के साथ-साथ विदेशों से तकनीक लाने और उसे फैलाने पर ध्यान देना होगा। दूसरे चरण में इन देशों को नई चीजें बनाने पर ध्यान देना होगा।

जिन देशों ने विदेशों से तकनीक लाने में कामयाबी पाई है, उन्हें अब नई तकनीक बनाने पर ध्यान देना चाहिए। इसके लिए कंपनियों, काम करने के तरीके और ऊर्जा के इस्तेमाल में बदलाव लाना होगा। साथ ही, आर्थिक आजादी, सामाजिक स्थिति में सुधार और राजनीतिक प्रतिस्पर्धा पर भी ध्यान देना होगा।

First Published - August 1, 2024 | 9:35 PM IST

संबंधित पोस्ट