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जल्द लाभ वाला समझौता चाहता है भारत

Last Updated- December 15, 2022 | 4:53 AM IST

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बुधवार को यूरोपियन कमीशन के अध्यक्ष उर्सुला वोन डेर लेयेन के सात जब पहली बार बैठक करेंगे तो उसमें यूरोप के साथ जल्द से जल्द कारोबारी वार्ता बहाल करने पर जोर दिए जाने की संभावना है। वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों ने कहा कि ऐसे समय में जब यूरोपीय संघ और भारत दोनों को ही चीन को लेकर आर्थिक चिंताएं हैं, जल्द आर्थिक समझौते करने पर नजर होगी। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री भारत का पक्ष रखेंगे कि कारोबार व निवेश को लेकर प्रमुख मतभेद जल्द सुलझाए जा सकते हैं और उसके बाद जल्द पूर्ण कारोबारी समझौता हो सकता है।

फिलहाल ‘अर्ली हार्वेस्ट’ पर जोर होगा, जिसका मतलब ऐसी कारोबारी नीति से है, जिसमें दोनों पक्ष तत्काल फायदे के हिसाब से समझौते करते हैं। इस मामले में भारत की ओर से मांग हो सकती है कि उसे डेटा सिक्योर नेशन का दर्जा मिले और यूरोपीय संघ की इच्छा होगी कि भारत को निर्यात होने वाली यूरोप की वाइन और ऑटोमोबाइल पर शुल्क कम हो।

भारत और यूरोपीय संघ के बीच 15वां द्विपक्षीय सम्मेलन पहली बार वर्चुअल होगा और यह कोविड-19 महामारी के कारण टलने के 4 महीने बाद होने जा रहा है, जिसकी वजह से सम्मेलन का स्थल बेल्जियम की राजधानी ब्रसेल्स प्रभावित हुई थी। इसके पहले नई दिल्ली में अक्टूबर 2017 में बैठक हुई थी, जिसके बाद दोनों पक्षों ने रणनीतिक चुप्पी साध ली थी और प्रस्तावित व्यापक व्यापार और निवेश समझौता (बीटीआईए) पर असर पड़ा था। भारत की इच्छा शुल्क कम करने की थी, लेकिन यूरोपीय संघ द्विपक्षीय निवेश संरक्षण समझौते पर अड़ा हुआ था और उसका कहना था कि किसी प्रस्तावित कारोबारी समझौते के साथ ही यह होना चाहिए।

पिछले साल दिसंबर में भारत ने प्रस्तावित क्षेत्रीय समग्र आर्थिक साझेदारी (आरसीईपी) से हाथ खींचने के बाद बीटीआईए पर बातचीत शुरू करने की कवायद की थी। यूरोपीय संघ के एक वरिष्ठ राजनयिक ने कहा कि  यूरोपीय संघ के नीति निर्माता भारत में काम कर रही यूरोप की फर्मों से प्रभावित थीं, जो व्यापक निवेश संरक्षण पर जोर दे रही थीं।

शुल्क के मोर्चे पर यूरोपीय संघ महंगे सामान जैसे शराब, ऑटोमोबाइल और वाहनों के कल पुर्जों पर आधिकारिक रूप से आयात शुल्क कम करने और बाजार तक व्यापक पहुंच की मांग करता रहा है। कारोबारी अधिशेष लंबे समय से बरकार रहने के बाद 2018-19 में यूरोप को होने वाला निर्यात आयात की तुलना में घट गया। पिछले साल यह स्थिति बदल गई है।

उन्होंने कहा, ‘अक्टूबर 2017 में नई दिल्ली में आयोजित 14वें भारत यूरोपीय संघ सम्मेलन में बातचीत पर बहुत जोर दिया गया था। भारत ने चिह्नित क्षेत्रों में शुल्क कम करने की पेशकश की थी, लेकिन निवेश की सुरक्षा को लेकर कोई प्रतिबद्धता नहीं जताई गई।’ उसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ बैठक के बाद यूरोपियन कमीशन के अध्यक्ष ज्यां क्लाउड जंकर ने कहा था कि कारोबार पर कोई वार्ता तभी होगी, जब बातचीत का विषय बदलेगा।

बहरहाल भारत को अभी उम्मीद है कि खासकर उसकी ओर से शराब पर छूट देने से स्थिति बदलेगी। अक्टूबर में अमेरिकी प्रशासन ने यूरोप की ह्विस्की और वाइन पर 25 प्रतिशत शुल्क लगा दिया था। अब वह शुल्क दोगुना करना चाहता है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘यूरोप के वाइन विनिर्माताओं का दबाव बढ़ रहा है और भारत में तेजी से मध्य वर्ग बढ़ रहा है, जिसकी यूरोप के उत्पादों में दिलचस्पी है।’

First Published - July 14, 2020 | 11:25 PM IST

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