वाणिज्य विभाग द्वारा मंगलवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक जून में अमेरिका को होने वाला वस्तु निर्यात सालाना आधार पर 23.5 प्रतिशत बढ़कर 8.3 अरब डॉलर हो गया है। हालांकि इस दौरान कुल निर्यात में कमी आई है। 2025 की शुरुआत से अमेरिका को निर्यात 8 अरब डॉलर से अधिक हो चुका है, जबकि 2024 में यह 6 से 7 अरब डॉलर के बीच था।
अमेरिका को होने वाले निर्यात में बढ़ोतरी की मुख्य वजह देश विशेष के मुताबिक शुल्क लगाए जाने के फैसले पर रोक के बाद निर्यातकों द्वारा इस वक्त का इस्तेमाल है। भारत के विक्रेताओं ने 9 जुलाई के पहले मिले 90 दिन वक्त का इस्तेमाल निर्यात के एक बेहतर अवसर के रूप में किया और इसकी वजह से अमेरिका को होने वाला निर्यात बढ़ गया।
अमेरिकी प्रशासन द्वारा भारत पर लगे 26 प्रतिशत शुल्क पर अस्थायी तौर पर लगाई गई रोक के बाद यहां के निर्यातकों पर इस समय 10 प्रतिशत आधार शुल्क है।
आंकड़ों से यह भी पता चलता है कि जून में व्यापार घाटा कम होकर 4 माह के निचले स्तर 18.78 अरब डॉलर पर आ गया है, क्योंकि इस महीने में आयात और निर्यात दोनों कम हुआ है। पिछले साल जून में व्यापार घाटा 20.84 अरब डॉलर और एक महीने पहले 21.88 अरब डॉलर था।
जून महीने में भारत का निर्यात सालाना आधार पर 0.06 प्रतिशत घटकर 35.11 अरब डॉलर रह गया है। खासकर कच्चे तेल की वैश्विक कीमतों में कमी और चल रहे शुल्क युद्ध के कारण वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में दबाव के कारण ऐसा हुआ है। जून में निर्यात न सिर्फ 7 महीने के निचले स्तर पर पहुंच गया है, बल्कि एक महीने पहले की तुलना में 9.2 प्रतिशत कम है।
जून में आयात 3.7 प्रतिशत घटकर 53.92 अरब डॉलर रह गया है। पेट्रोलियम उत्पाद, सोना, लोहा और स्टील का आयात घटने के कारण ऐसा हुआ है।
वाणिज्य सचिव सुनील बड़थ्वाल ने कहा कि कच्चे तेल की कीमत में गिरावट का असर जून के आयात और निर्यात पर पड़ा है। उन्होंने कहा कि मंत्रालय ‘आयात में तेजी’ पर नजर रख रहा है। उन्होंने कहा, ‘हम बढ़ोतरी की रिपोर्ट विभिन्न मंत्रालयों को भेज रहे हैं, जिससे वे भी अपने स्तर पर इस पर नजर रख सकें।’