पर्यावरण व सतत सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा देने की कवायद के अंतर्गत केंद्र 4,126 करोड़ रुपये का भुगतान सुरक्षा कोष मुहैया करवाने के लिए तैयार है। इसका बुनियादी ध्येय देशभर में 38,000 इलेक्ट्रिक बसों (ई-बसों) की खरीद को सुगम बनाना है।
भारी उद्योग मंत्रालय के संयुक्त सचिव हनीफ कुरैशी ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘अभी 4,126 करोड़ रुपये का फंड बनाने की कवायद जारी है। हमारी योजना यह है कि आने वाले महीनों में इस कोष को पेश किया जाए।’ इस कोष का प्राथमिक ध्येय सरकार को 2027 तक 50,000 ई-बसों के महत्त्वाकांक्षी लक्ष्य को हासिल करने में मदद करना है।
ई-बसों के लिए राष्ट्रीय बस इलेक्ट्रिक कार्यक्रम के अंतर्गत 10 अरब डॉलर (82,796 करोड़ रुपये) की पहल की गई है। कुरैशी ने बताया, ‘हम करीब 12,000 बसों को मंजूरी दे चुके हैं और शेष लक्ष्य को हासिल करने में यह कोष प्रमुख भूमिका निभाएगा।’
दरअसल,भारत के इस कोष में अमेरिका की सरकार 15 करोड़ डॉलर (1,241 करोड़ रुपये) का सहयोग करेगी और शेष राशि का इंतजाम भारत सरकार करने के लिए प्रतिबद्ध है। सरकार ने भुगतान सुरक्षा कोष को पेश कर रणनीतिक कदम उठाया है। इसके तहत सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि ई-बसों के निर्माताओं को राज्य परिवहन निगम (एसटीयू) और अन्य सरकारी एजेंसियों को आपूर्ति करने पर समयबद्ध और सुरक्षित भुगतान मिल सके।
हालिया ई बसों की निविदाओं के प्रति सुस्त प्रतिक्रिया मिलने के बाद यह कदम उठाया गया है। दरअसल बोली लगाने वालों ने ई बस के पट्टे के अनुबंध में कम बैंक मोबिल्टी और राज्य परिवहन निगम की हालिया चुनौतियों के मद्देनजर दूरी बरती थी। भुगतान सुरक्षा के तंत्र की अनुपस्थिति में छोटे मूल उपकरण निर्माताओं (ओईएम) ने ही दूरी नहीं बरती है बल्कि देश के सबसे बड़े बस निर्माता टाटा मोटर्स ने अपने को दूर रखा।
टाटा मोटर्स ने राज्य संचालित कंवर्जेंस एनर्जी सर्विसेज लिमिटेड (सीईएसएल) की 6,465 और 4,675 ई-बसों की जारी हुई दो निविदाओं में हिस्सा नहीं लिया था। टाटा मोटर्स के कार्यकारी निदेशक गिरीश वाघ ने जनवरी, 2023 में दिए साक्षात्कार में इस मॉडल की बैंकबिल्टी बढ़ाने के लिए भुगतान सुरक्षा तंत्र की जरूरत पर बल दिया था। उन्होंने कहा था कि ऐसा तंत्र होने की स्थिति में ही टाटा मोटर्स हिस्सा लेने के बारे में विचार करेगा।