भारत उन उत्पादों की सूची को अंतिम रूप देने के लिए बेहद बारीकी से आकलन कर रहा है जिन पर यूरोपीय संघ से आयात के लिए अधिक जवाबी शुल्क लग सकता है। इस मामले से अवगत एक व्यक्ति ने यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि इसके पीछे विचार यह है कि उन बाजारों से प्रमुख कच्चे माल के आयात पर अधिक शुल्क लगाने के सरकार के नीतिगत निर्णय से उद्योग को नुकसान नहीं पहुंचना चाहिए।
इसलिए तैयार माल पर अधिक आयात शुल्क लगाने पर विचार किया जा सकता है। उस व्यक्ति ने बिज़नेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि महत्त्वपूर्ण वस्तुओं का आयात अधिक महंगा न हो। इससे देसी उद्योग को कोई नुकसान न पहुंचे। अगर अधिक शुल्क लगाए जाने से प्रमुख कच्चा माल अधिक महंगा हो जाएगा तो वह फायदेमंद नहीं होगा। उससे हमारा उत्पादन प्रभावित हो सकता है।’
यह खबर ऐसे समय में आई है जब भारत ने सितंबर में विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) को सूचित किया था कि उसने यूरोपीय संघ द्वारा इस्पात पर लगाए गए शुल्क के खिलाफ जवाबी उपाय करने का फैसला किया है। यह शुल्क 2018 से प्रभावी है और इसे जून 2026 तक बढ़ा दिया गया है।
उस व्यक्ति ने कहा, ‘फिलहाल इस संबंध में (वस्तुओं को अंतिम रूप देने के लिए) एक विस्तृत अध्ययन किया जा रहा है।’ वाणिज्य विभाग पिछले एक महीने से इस मामले पर
विभिन्न मंत्रालयों के साथ परामर्श कर रहा है। विभाग इन वस्तुओं को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया में है। सबसे पहले 2018 में अनंतिम सुरक्षा उपाय के तौर पर 26 प्रकार के इस्पात पर शुल्क लगाए गए थे। मगर इन सुरक्षा उपायों ने शुल्क दर कोटा (टीआरक्यू) का रूप ले लिया। ऐसे में कोटा से इतर किसी भी इस्पात किस्म पर 25 फीसदी अतिरिक्त शुल्क लगा दिया गया।
हालांकि इस उपाय को जून 2021 तक ही प्रभावी रहना था मगर इसे 30 जून, 2024 तक बढ़ा दिया गया। जून में यूरोपीय संघ ने इस्पात आयात पर शुल्क को जून 2026 तक बढ़ा दिया। व्यापारियों के अनुसार, वैश्विक स्तर पर इस्पात उत्पादन की अधिक क्षमता और एशियाई देशों के जरिये चीन से निर्यात में उछाल के बीच यूरोपीय इस्पात उत्पादकों को आर्थिक नुकसान से बचाने के लिए इसे लागू किया गया था।
पांच साल के दौरान इससे भारत के लगभग 4.4 अरब डॉलर के निर्यात प्रभावित हुए हैं। इसके अलावा यूरोपीय संघ ने इसके जरिये करीब 1.1 अरब डॉलर का आयात शुल्क वसूला है। सितंबर में भारत की ओर से विश्व व्यापार संगठन को दी गई जानकारी के अनुसार, भारत यूरोपीय संघ से आने वाली वस्तुओं पर बराबर आयात शुल्क लगाने की योजना बना रहा है।
पिछले महीने वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने इस समाचार पत्र को बताया था कि भारत और यूरोपीय संघ ने इस मुद्दे पर काफी चर्चा एवं बातचीत की है। गोयल ने बिज़नेस स्टैंडर्ड से बातचीत में कहा था, ‘हमने उन्हें इस्पात और एल्युमीनियम पर शुल्क खत्म करने का हरसंभव मौका दिया। कुछ महीने पहले जब हम चुनावी भागदौड़ में थे, तो फिर उन्होंने इसे दो-तीन साल के लिए बढ़ा दिया। तब हमने सोचा कि अब हमें जवाबी कार्रवाई करनी होगी। मगर अभी हमने प्रक्रिया को अंतिम रूप नहीं दिया है।’
वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान भारत ने यूरोपीय संघ से 61.48 अरब डॉलर की वस्तुओं का आयात किया जो भारत के कुल आयात का करीब 9 फीसदी है। यूरोपीय संघ से आयात की जाने वाली प्रमुख वस्तुओं में परमाणु रिएक्टर, मशीनरी, चिकित्सा उपकरण, विमान आदि शामिल हैं।