India-Oman FTA: भारत और ओमान के बीच प्रस्तावित मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) को करीब अंतिम रूप दिए जाने के बाद उसमें व्यवधान आ गया है। इस मामले से जुड़े जानकारों ने कहा कि पेट्रोकेमिकल्स उत्पादों की बाजार तक पहुंच के मसले पर दोनों देशों के बीच सहमति नहीं बन पा रही है।
भारत पर पॉलिएथिलीन और पॉलिप्रोपेलीन के लिए बाजार तक व्यापक पहुंच देने को लेकर दबाव है, जो टकराव का प्रमुख मसला बन गया है। इन मध्यवर्तियों का इस्तेमाल प्लास्टिक, मेडिकल उपकरण, इलेक्ट्रॉनिकी के साथ ऑटोमोबाइल कंपोनेंट बनाने में होता है। भारत में अभी पेट्रोकेमिकल्स के आयात पर 7.5 फीसदी शुल्क लगता है।
दोनों पक्षों ने उल्लेखनीय रूप से व्यापार समझौते पर काम पूरा कर लिया था और प्रस्तावित समग्र एफटीएफ की भाषा-सामग्री को लेकर फरवरी से कानूनी पहलुओं पर काम शुरू हो गया था। लेकिन मार्च के मध्य और उसके बाद भारत ने अपना ध्यान लोक सभा चुनाव की ओर केंद्रित कर लिया, जो 1 जून को खत्म हुआ।
उपरोक्त उल्लिखित व्यक्तियों में से एक ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया कि पहले यह विचार था कि नई सरकार के कार्यभार संभालने के बाद जल्द से जल्द समझौते पर हस्ताक्षर किए जाएं।
लेकिन, दोनों देशों के बीच समझौते पर हस्ताक्षर की जगह चुनाव के बाद बातचीत फिर से शुरू हो गई, क्योंकि सरकारी व निजी कंपनियों समेत घरेलू उद्योगों ने पेट्रोकेमिकल उत्पादों को बाजार मुहैया कराए जाने को लेकर चिंता जताई है।
उद्योग की चिंता यह है कि चीन की क्षमता बहुत ज्यादा है और पश्चिम एशियाई देश सीओपी28 के फैसलों के कारण पेट्रोकेमिकल्स पर ध्यान दे रहे हैं। ऐसे में शून्य शुल्क पर बाजार मुहैया करा देने से भारत के सार्वजनिक व निजी क्षेत्र की तेल कंपनियों द्वारा किया जाने वाला निवेश प्रभावित हो सकता है।
एक चुनौती यह भी है कि भारत- संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) व्यापार समझौते के तहत भारत ने पेट्रोकेमिकल्स पर चरणबद्ध तरीके से आयात शुल्क घटाकर आधा करने पर सहमति जताई है। साथ ही आयात की मात्रा को लेकर सीमा भी तय की गई है।
वाणिज्य विभाग ने इस सिलसिले में बिज़नेस स्टैंडर्ड की ओर से मांगी गई जानकारी पर कोई जवाब नहीं दिया।
पश्चिम एशिया के देशों के साथ समग्र व्यापार समझौता खाड़ी देशों के साथ संबंध सुधारने की भारत की इच्छा का हिस्सा है। ओमान, भारत का रणनीतिक साझेदार रहा है, जिसके साथ करीब 5000 साल से व्यापारिक रिश्ते हैं।
ओमान 6 सदस्यों वाले गल्फ कोऑपरेशन काउंसिल (जीसीसी) का सदस्य भी है, जिसमें बहरीन, कुवैत, ओमान, कतर, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात शामिल हैं। जीसीसी देशों में भारत ने संयुक्त अरब अमीरात से पहले ही साल 2022 में समझौता किया है।
ओमान के साथ बातचीत का औपचारिक दौर 20 नवंबर को शुरू हुआ। समझौते के ज्यादातर अध्यायों पर भारत और ओमान ने जनवरी में चर्चा पूरी कर ली थी। इसके पहले सरकार के अधिकारियों ने कहा था कि भारत संयुक्त अरब अमीरात समझौता की तरह ही ओमान के साथ समझौता हो सकता है, जिससे दोनों देशों के बीच बातचीत आसान हो जाएगी।
ओमान, भारत का 30वां बड़ा व्यापारिक साझेदार है, लेकिन जीसीसी देशों में संयुक्त अरब अमीरात और सऊदी अरब के बाद तीसरा बड़ा निर्यात केंद्र है। वित्त वर्ष 2023-24 में दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय कारोबार 8.9 अरब डॉलर रहा है।