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भारत को मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में तेजी लाने की जरूरत: FM सीतारमण

सीआईआई वार्षिक व्यापार शिखर सम्मेलन में निर्मला सीतारमण ने उत्पाद निर्माण और नीति समर्थन में अधिक परिष्‍करण हासिल करने की आवश्यकता को भी रेखांकित किया।

Last Updated- May 17, 2024 | 2:56 PM IST
CII Annual Business Summit
New Delhi: Union Finance Minister Nirmala Sitharaman at the CII Annual Business Summit, in New Delhi, Friday, May 17, 2024.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) ने शुक्रवार को कहा कि देश को वैश्विक मूल्य श्रृंखला में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने और आत्मनिर्भर बनने के लिए अपने विनिर्माण क्षेत्र में तेजी लाने की जरूरत है।

सीआईआई वार्षिक व्यापार शिखर सम्मेलन (CII Annual Business Summit) में भारतीय उद्योग के प्रमुखों को संबोधित करते हुए मंत्री ने उत्पाद निर्माण और नीति समर्थन में अधिक परिष्‍करण हासिल करने की आवश्यकता को भी रेखांकित किया।

सीतारमण ने कहा, ‘‘ मैं कुछ अर्थशास्त्रियों द्वारा दी गई इस सलाह के विपरीत कुछ रेखांकित करना चाहती हूं कि भारत को अब विनिर्माण पर ध्यान नहीं देना चाहिए या विनिर्माण में तेजी नहीं लानी चाहिए… । मैं इस तथ्य पर जोर देना चाहती हूं कि विनिर्माण में वृद्धि होनी चाहिए। भारत को नीतियों की मदद से वैश्विक मूल्य श्रृंखला में अपनी (विनिर्माण) हिस्सेदारी भी बढ़ानी चाहिए।’’

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन सहित कुछ अर्थशास्त्रियों ने राय व्यक्त की है कि भारत को विनिर्माण के बजाय सेवा क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए क्योंकि उसने वह अवसर गंवा दिया है। उनका कहना है कि चीन के विनिर्माण-आधारित वृद्धि मॉडल को अब और दोहराया नहीं जा सकता। हालांकि, सीतारमण ने कहा कि विनिर्माण के विस्तार से भारत को आत्मनिर्भर बनने में मदद मिलेगी। उन्होंने उम्मीद जतायी कि भारत के पास अब भी अपनी विनिर्माण क्षमता बढ़ाने का अवसर है क्योंकि दुनिया कोविड-19 वैश्विक महामारी के बाद ‘चीन प्लस वन’ रणनीति पर ध्यान दे रही है।

यह भी पढ़ें: स्वाति मालीवाल मामले पर FM Sitharaman ने दिया बयान, बोलीं- ‘आरोपी के साथ ‘बेशर्मी’ से घूम रहे हैं केजरीवाल’

‘कैपजेमिनी रिसर्च इंस्टीट्यूट’ की मई में जारी रिपोर्ट का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि यूरोप और अमेरिका में वरिष्ठ अधिकारियों के लिए निवेश स्थलों की सूची में भारत शीर्ष पर है, जो चीन पर अपनी निर्भरता कम करना चाहते हैं और अपनी विनिर्माण क्षमता का कुछ हिस्सा उभरते बाजारों में स्थानांतरित करना चाहते हैं। सर्वेक्षण में शामिल करीब 760 अधिकारियों में से 65 प्रतिशत ने कहा कि वे भारत में उल्लेखनीय रूप से निवेश बढ़ाने की योजना बना रहे हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘ यह अपने आप में हमारे भारतीय उद्योग को काफी बड़ा दायरा प्रदान करता है। पीएलआई (उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन) योजना मोबाइल तथा इलेक्ट्रॉनिक क्षेत्रों में भी बदलाव ला रही हैं।’’

उन्होंने कहा कि 2014 में 78 प्रतिशत आयात से निर्भरता तक, आज भारत में बिकने वाले 99 प्रतिशत मोबाइल भारत में निर्मित हैं। सीतारमण ने उदाहरण देते हुए कहा कि भारत पिछले साल 1.1 अरब अमेरिकी डॉलर के निर्यात के साथ चीन के बाहर आईफोन के लिए एप्पल का दूसरा सबसे बड़ा विनिर्माण केंद्र बन गया। सेवा क्षेत्र पर उन्होंने कहा कि दुनिया के 50 प्रतिशत से अधिक वैश्विक क्षमता केंद्रों (जीसीसी) पर भारत का कब्जा है और यह महत्वपूर्ण घरेलू तथा वैश्विक अवसर उत्पन्न करने वाला सबसे पसंदीदा गंतव्य बना हुआ है। भारत में जीसीसी की संख्या इस समय 1,580 से अधिक हो गई है।

मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी नीत सरकार भारत की वृद्धि में निजी क्षेत्र को एक भागीदार के रूप में देखती है। उन्होंने कहा, ‘‘ हम निजी क्षेत्र की एक बहुत बड़ी भूमिका देखते हैं। हम वृद्धि में उनके साथ साझेदारी करना चाहेंगे। सरकार एक सुविधाप्रदाता व समर्थक के रूप में काम करेगी।’’

First Published - May 17, 2024 | 1:49 PM IST (बिजनेस स्टैंडर्ड के स्टाफ ने इस रिपोर्ट की हेडलाइन और फोटो ही बदली है, बाकी खबर एक साझा समाचार स्रोत से बिना किसी बदलाव के प्रकाशित हुई है।)

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