भारत को वर्ष 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाने के लक्ष्य में आर्टिफिशल इंटेलीजेंस (एआई) का योगदान महत्वपूर्ण हो सकता है। दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के रूप में, भारत को अपने विविध सांस्कृतिक परिदृश्य से लेकर सामाजिक-आर्थिक असमानताओं को दूर करने तक कई चुनौतियों और अवसरों का सामना करना पड़ता है।
ऐसे चुनौतीपूर्ण परिवेश में एआई तकनीक न सिर्फ तकनीकी नवाचार के तौर पर उभरी है बल्कि देश की आगामी राह को नया आकार देने वाले उत्प्रेरक के रूप में भी।
ईवाई की एक रिपोर्ट के अनुसार, जेनरेटिव एआई (जेनएआई) में अगले सात साल के दौरान भारत की जीडीपी में 1.2-1.5 लाख करोड़ डॉलर का इजाफा करने की क्षमता है। ‘भारत का एआईडिया: भारत के डिजिटल कायाकल्प में तेजी लाने के लिए जेनरेटिव एआई की क्षमता’ शीर्षक वाली रिपोर्ट में कहा गया है कि जेनएआई में सिर्फ2029-30 में, भारत की जीडीपी में अतिरिक्त 359 से 438 अरब डॉलर तक योगदान करने की क्षमता है।
भारत के पास एआई की दौड़ में दुनिया का नेतृत्व करने का अवसर है। यह ऐसा एकमात्र देश है जिसकी युवा प्रतिभाओं और तेजी से बढ़ रही उद्यमशील आबादी तक पहुंच है, जो नवाचार को बढ़ावा दे रही है। भारतीय नेताओं और वैश्विक नेताओं द्वारा इस पर अक्सर जोर दिया जाता रहा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल में समाप्त हुए स्टार्टअप महाकुंभ में कहा कि भारत आर्टिफिशल इंटेलीजेंस (एआई) में आगे है और यह एआई संभावनाओं में दुनिया का नेतृत्व करेगा। बिज़नेस स्टैंडर्ड के दो-दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन ‘बीएस मंथन’ में इस विषय पर गहन विचार-विमर्श किया जाएगा कि भारत ग्लोबल पावरहाउस बनने के लिए किस तरह से एआई की लहर पर सवार हो सकता है। बीएस मंथन बिज़नेस स्टैंडर्ड प्रकाशन के 50 साल पूरे होने के अवसर पर आयोजित किया जा रहा है।