वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने शुक्रवार को बताया कि अमेरिका के भारत के निर्यात पर 50 प्रतिशत शुल्क लगाने के मद्देनजर केंद्र सरकार घरेलू पहुंच बढ़ाने के लिए कई सहायता उपायों की तैयारी कर रही है। इसके अलावा भारत की वैश्विक मार्केट में पहुंच बढ़ाने के कार्य भी किए जा रहे हैं। गोयल ने मौजूदा वैश्विक चुनौतियों और अमेरिका के ज्यादा शुल्क थोपे जाने के बावजूद यह विश्वास जताया कि ये तरीके बीते वर्षों की तुलना में मौजूदा वित्त वर्ष में निर्यात के क्षेत्र में वृद्धि सुनिश्चित करेंगे।
भारत ने वित्त वर्ष 25 में 347 अरब डॉलर मूल्य की वस्तुओं का निर्यात किया था। भारत ने इस वित्त वर्ष के पहले चार महीनों (अप्रैल-जुलाई) में 149 अरब डॉलर के मूल्य की वस्तुओं का निर्यात किया। गोयल ने भारतीय उद्योग परिसंघ के कार्यक्रम में कहा, ‘सरकार आने वाले दिनों में हरेक क्षेत्र की मदद के लिए कई उपायों के साथ आएगी- इससे घरेलू पहुंच बढ़ाना और वैश्विक दायरा बढ़ाने के लिए अन्य देशों के बाजारों पर नजर रखेगी। इससे सालाना निर्यात बीते वर्षों की तुलना में अधिक रहे।’
मंत्री ने अन्य कार्यक्रम भारत बिल्डकॉन 2026 में कहा कि अन्य देशों की एकतरफा व्यापार कार्रवाइयों से भारत के उद्योग को किसी भी बाधा या अनुचित दबाव का सामना नहीं करना पड़े, इसके लिए सरकार प्रतिबद्ध है। वैश्विक निर्यात में भारत की हिस्सेदारी महज 2 प्रतिशत है। इसलिए भारतीय वस्तुओं पर जबरदस्त शुल्क लगाने से कम चिंताएं हैं। इसके अलावा भारत आयात पर निर्भर और घरेलू खपत पर आश्रित देश है।
अमेरिकी सरकार ने 7 अगस्त को भारत पर 25 प्रतिशत जवाबी शुल्क लगाया था। इसके बाद अमेरिका ने भारत पर रूस से कच्चा तेल खरीदने का आरोप लगाते हुए 25 प्रतिशत अतिरिक्त शुल्क 27 अगस्त को थोप दिया था।
भारत अमेरिका के साथ द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर बातचीत कर रहा है। इसका पहला चरण इस साल अक्टूबर-नवबंर में पूरा करने की योजना थी।
भारत विकासित देशों से भी मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) के नेटवर्क का विस्तार कर रहा है। इस क्रम में ऑस्ट्रेलिया, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई), स्विट्जरलैंड, नॉर्वे, लिक्टनस्टाइन, आइसलैंड और ब्रिटेन के साथ समझौते का विस्तार किया जा रहा है।