वर्ष 2008-09 के बजट में किए गए आवंटन पर गौर करें तो स्पष्ट है कि सरकार ने सार्वजनिक उपक्रमों के अनुदानों को न केवल बरकरार रखा है बल्कि इसमें वृध्दि भी की है।
इस साल यह 19,440 करोड़ रहा जो इंफ्रास्ट्रक्चर, खाद्य, फर्टिलाइजर और मास कम्युनीकेशंस जैसे क्षेत्रों को मिलने जा रहा है।
एयरपोर्ट एथारिटी आफ इंडिया (एएआई), प्रसार भारती, फूड कार्पोरेशन आफ इंडिया (एफसीआई) और फर्टिलाइजर तथा फार्मास्यूटिकल क्षेत्र के सार्वजनिक उपक्रमों के बजट में बढ़ोतरी की गई है। एयरपोर्टों के अनुदान में भारी बढ़ोतरी से औरंगाबाद पुड्डुचेरी, पूर्वोत्तर क्षेत्रों, जम्मू कश्मीर को फायदा होगा। वहीं प्रसार भारती के लिए आवंटित धन से पूर्वोत्तर राज्यों और जम्मू कश्मीर राज्य में सरकारी टेलीविजन को मजबूत किया जाएगा।
एफसीआई के लिए पैसा आवंटित किए जाने से खाद्य पदार्थों के प्रबंधन के लिए सूचना तंत्र मजबूत करने और यूपीए के अन्य प्रमुख उद्देश्यों को पूरा करने में सहूलियत मिलेगी। फर्टिलाइजर और फार्मास्यूटिकल्स क्षेत्र में अधिक धन आवंटित किए जाने के पीछे सरकार की मंशा है कि बंगाल केमिकल्स ऐंड फामास्यूटिकल्स, ब्रह्मपुत्र वैली फर्टिलाइजर कार्पोरेशन लिमिटेड और मद्रास फर्टिलाइजर लिमिटेड की हालत को ठीक किया जाए। इसके अलावा भी कुछ पीएसयू के आवंटन में बढ़ोतरी की गई है। इसमें इंडियन रेलवे शामिल है। दिल्ली मेट्रो परियोजना के आवंटन में कोई बढ़ोतरी नहीं की गई है। इस बजट में यह भी स्पष्ट है कि पेट्रोलियम, प्राकृ तिक गैस, खदान, कोयला, संचार और सूचना क्षेत्र के सार्वजनिक उपक्रमों को अतिरिक्त धन नहीं दिया गया है। इन मंत्रालयों के अंतर्गत आने वाले भारत संचार निगम लिमिटेड, नेशनल थर्मल पावर कार्पोरेशन और इंडियन आयल कार्पोरेशन सबसे ज्यादा लाभ कमाने वाले सार्वजनिक उपक्रम हैं।