भारत की मध्यम अवधि की विकास दर 7–8% बनाए रखने की संभावनाएं, बीते एक दशक की मजबूत आर्थिक प्रदर्शन और व्यापक संरचनात्मक व शासन सुधारों पर आधारित हैं। श्रम कानूनों में बदलाव, भूमि अभिलेखों का डिजिटलीकरण, कर सुधार, दिवालियापन और रियल एस्टेट के लिए विनियामक व्यवस्था, और वित्तीय क्षेत्र में सुधार जैसे कई कदमों ने भारतीय अर्थव्यवस्था को वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था बनाए रखा है।
इस संबंध में राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में आंकड़ा एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (स्वतंत्र प्रभार) के राज्य मंत्री राव इंदरजीत सिंह ने जानकारी दी कि सरकार घरेलू विकास को बढ़ावा देने, निवेश आकर्षित करने, नवाचार को बढ़ावा देने, और समावेशी व लचीली अर्थव्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए कई रणनीतियों पर काम कर रही है।
व्यापार और निर्यात को बढ़ावा देने वाली प्रमुख नीतियां:
नई विदेश व्यापार नीति (1 अप्रैल 2023 से लागू) – भारत को वैश्विक बाजार से बेहतर तरीके से जोड़ने, व्यापार प्रतिस्पर्धा बढ़ाने और एक भरोसेमंद व्यापार साझेदार बनाने की दिशा में काम कर रही है।
RoSCTL योजना – कपड़ा क्षेत्र में श्रम-प्रधान वस्तुओं के निर्यात को बढ़ावा देने हेतु मार्च 2019 से लागू।
RoDTEP योजना – 1 अप्रैल 2021 से प्रभावी, 10,642 टैरिफ लाइनों को कवर करती है। वित्त वर्ष 2025-26 के लिए ₹18,232.50 करोड़ का बजट आवंटित। योजना 30 सितंबर 2025 तक घरेलू टैरिफ क्षेत्र (DTA) से निर्यात पर लागू।
डिजिटल प्लेटफॉर्म फॉर सर्टिफिकेट ऑफ ओरिजिन – एफटीए लाभ लेने में सहूलियत के लिए शुरू किया गया।
जिला निर्यात केंद्र पहल – प्रत्येक जिले की विशिष्ट उत्पाद पहचान कर स्थानीय निर्यातकों को सहायता दी जा रही है।
Trade Connect ePlatform – निर्यातकों को भारतीय मिशनों व व्यापार निकायों से जोड़ने के लिए डिजिटल इंटरफेस में लगातार सुधार।
विदेशी भारतीय मिशन – भारत के व्यापार, पर्यटन, निवेश और तकनीकी हितों को बढ़ावा देने में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं।
निर्यात की नियमित समीक्षा – इंडियन मिशन, EPCs, कमोडिटी बोर्ड्स और उद्योग संघों के साथ समन्वय कर निर्यात प्रदर्शन पर निगरानी और सुधारात्मक कार्रवाई
भारत की कार्यशील आयु वाली आबादी 2011 में 735 मिलियन से बढ़कर 2036 तक 988.5 मिलियन हो जाएगी। वर्तमान में यह आबादी कुल जनसंख्या का 64.2% है, जो अगले 10 वर्षों तक लगभग 65% बनी रहेगी — इसे जनसांख्यिकीय लाभांश के रूप में देखा जा रहा है।
शिक्षा, स्वास्थ्य और कौशल विकास को प्राथमिकता दे रही है।
श्रम-प्रधान क्षेत्रों में रोजगार सृजन पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है।
महिलाओं की कार्यबल में भागीदारी बढ़ाने के लिए मिशन शक्ति, नमो ड्रोन दीदी और लखपति दीदी जैसी योजनाएं चलाई जा रही हैं।
मेक इन इंडिया पहल के माध्यम से निर्माण क्षेत्र में नई ऊर्जा भरने का प्रयास जारी है।
केंद्रीय राज्य मंत्री राव इंदरजीत सिंह ने संसद में कहा कि सरकार का जोर उदारीकरण, बुनियादी ढांचा निवेश, MSMEs के विकास, डिजिटलीकरण, वित्तीय समावेशन और औपचारिक अर्थव्यवस्था को मजबूत करने पर है। केंद्र–राज्य समन्वय और संस्थागत सशक्तिकरण के माध्यम से उत्पादकता बढ़ाने, निजी निवेश को आकर्षित करने और नवाचार आधारित विकास को बढ़ावा देने की दिशा में लगातार प्रयास हो रहे हैं। इस व्यापक रणनीति का उद्देश्य न केवल विकास दर को बनाए रखना है, बल्कि उसे अधिक समावेशी, सशक्त और लचीला बनाना है।