अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के व्यापक जवाबी शुल्क के बाद बढ़ती वैश्विक चुनौतियों से भारत में संभावित आर्थिक मंदी के कारण वित्त वर्ष 26 में सरकार के राजस्व संग्रह पर प्रतिकूल असर पड़ा है। अर्थशास्त्रियों का कहना है कि रसोई गैस की कीमत में बढ़ोतरी और विशेष अतिरिक्त उत्पाद शुल्क (एसएईडी) में बढ़ोतरी संभावित राजस्व घाटे से निपटने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए एहतियाती कदम प्रतीत होते हैं।
इक्रा के अनुमान के मुताबिक पेट्रोल और डीजल पर कर में 2 रुपये लीटर बढ़ोतरी से वित्त वर्ष 2026 में एसएईडी संग्रह 35,000 करोड़ रुपये बढ़ने की संभावना है। वहीं घरेलू रसोई गैस की कीमत में 50 रुपये प्रति सिलिंडर की वृद्धि से चालू वित्त वर्ष में रसोई गैस की बिक्री से होने वाला घाटा 10,000 करोड़ रुपये कम हो जाएगा।
खुदरा कीमत में बढ़ोतरी के बगैर ही पेट्रोल और डीजल पर शुल्क एसएईडी के माध्यम से बढ़ाया गया है, मूल उत्पाद शुल्क में बढ़ोतरी नहीं की गई है। ऐसे में केंद्र सरकार राज्यों के साथ राजस्व साझा नहीं करेगी। अर्थशास्त्रियों का अनुमान है कि वित्त वर्ष 2026 में निर्यात में मंदी के कारण वृद्धि पर 50 आधार अंक का असर पड़ेगा।
एचडीएफसी बैंक में प्रधान अर्थशास्त्री साक्षी गुप्ता ने कहा कि बाहरी चुनौतियों के कारण वित्त वर्ष 2026 में घरेलू वृद्धि में मंदी का असर प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कर संग्रह पर पड़ सकता है और इससे राजकोषीय घाटे पर दबाव बढ़ सकता है।
वित्त वर्ष 2026 के बजट में नॉमिनल जीडीपी वृद्धि 10.1 प्रतिशत और सकल कर राजस्व में 10.8 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान लगाया गया है। गुप्ता ने कहा, ‘अगर वास्तविक जीडीपी वृद्धि मामूली रूप से 6.5 प्रतिशत से सुस्त होती है तो नॉमिनल जीडीपी और कर वृद्धि भी बजट अनुमान से कम रहेगी।’
आईडीएफसी फर्स्ट बैंक में मुख्य अर्थशास्त्री गौरा सेनगुप्ता ने कहा कि एसएईडी वृद्धि से प्रत्यक्ष कर संग्रह का कुछ जोखिम संतुलित होगा। उन्होंने कहा, ‘खासकर आयकर राजस्व के अनुमान से उम्मीद बनी हुई है। हालांकि शहरी वेतन वृद्धि में सुस्ती और शेयर बाजार में गिरावट से प्रत्यक्ष कर संग्रह कम होने की संभावना है।’
वित्त वर्ष 2026 में आयकर संग्रह 14.3 प्रतिशत बढ़ने का अनुमान लगाया गया है। इक्रा लिमिटेड में मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि इस समय की अनिश्चितता का असर वित्त वर्ष 2026 की भारत के कई वृहद आर्थिक परिदृश्य पर पड़ सकता है और इससे राजस्व संग्रह और बजट लक्ष्य प्रभावित हो सकते हैं।
उन्होंने कहा, ‘हाल की बढ़ोतरी की घोषणा से उत्पाद शुल्क संग्रह बढ़ेगा, वहीं कुछ क्षेत्रों में मुनाफा घटने से कॉर्पोरेट कर संग्रह में कमी आ सकती है।’वित्त वर्ष 2026 में कॉर्पोरेशन कर संग्रह 10.4 प्रतिशत बढ़ने का अनुमान लगाया गया है। बहरहाल बैंक ऑफ बड़ौदा में मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा कि बहुत बुरी आर्थिक मंदी से वास्तविक जीडीपी वृद्धि 20 आधार अंक घट सकती है और इससे कुल मिलाकर कर संग्रह प्रभावित नहीं होगा।