मई में औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर गिरकर 1.2 प्रतिशत रह गई, जो पिछले 9 महीने में सबसे सुस्त रफ्तार है। यह अप्रैल के 2.6 प्रतिशत के संशोधित आंकड़ों से कम है। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) से आज जारी आंकड़ों के मुताबिक औद्योगिक उत्पादन में गिरावट की प्रमुख वजह उच्च आधार का असर और खनन तथा बिजली क्षेत्र में उत्पादन में कमी आना है।
औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) के आंकड़ों से पता चलता है कि खनन क्षेत्र में उत्पादन लगातार दूसरे महीने 0.1 प्रतिशत घट गया। अगस्त 2024 के बाद पहली बार बिजली क्षेत्र का उत्पादन भी 5.8 प्रतिशत घटा है। विनिर्माण क्षेत्र का उत्पादन 2.6 प्रतिशत बढ़ा, जो पहले से भी सुस्त रफ्तार है। मई 2024 में आईआईपी में 6.3 प्रतिशत वृद्धि हुई थी।
इक्रा रेटिंग्स में मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर का कहना है कि मॉनसून पहले आने के कारण खनन गतिविधियां ठप हो गई हैं और बिजली की मांग भी घटी है। इन दोनों क्षेत्रों में उत्पादन घटा है और विनिर्माण क्षेत्र में भी सुस्ती रही है।
इस महीने पहले आए सरकारी आंकड़ों से पता चला कि देश के 8 प्रमुख बुनियादी उद्योगों का उत्पादन मई में गिरकर 0.7 प्रतिशत रह गया, जो 9 महीनों का सबसे कम आंकड़ा था। अप्रैल में संशोधित आंकड़ा 1 प्रतिशत वृद्धि दर्शा रहा था। बिजली, कच्चे तेल, उर्वरक और प्राकृतिक गैस सहित आधे क्षेत्रों के उत्पादन में तेजी से कमी हुई।
खपत के हिसाब से श्रेणियों को देखें तो प्राथमिक वस्तुओं का उत्पादन लगातार दूसरे महीने गिरा और इसमें 1.9 प्रतिशत कमी आई। उपभोक्ता गैर टिकाऊ वस्तुओं का उत्पादन चार महीने से गिर रहा है, जो इस महीने 2.4 प्रतिशत कम हो गया। टिकाऊ उपभोक्ता वस्तुओं का उत्पादन 0.7 प्रतिशत कम हुआ और नवंबर 2024 के बाद पहली बार इनके उत्पादन में कमी आई है।