भारत से ईरान को होने वाले दवा निर्यात में कमी भारी आई है। इसकी वजह पश्चिम एशियाई देश में रुपये का भंडार कम होना है, क्योंकि अमेरिकी प्रतिबंधों के बाद भारत ने 2019 से ईरान से तेल खरीदना रोक दिया है। इस साल अप्रैल से अगस्त के दौरान दवा के निर्यात में पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 71.25 प्रतिशत कमी आई है।
फार्मास्यूटिकल एक्सपोर्ट्स प्रमोशन काउंसिल (फार्मेक्सिल) के आंकड़ों से पता चलता है कि ईरान को होने वाला निर्यात 2022-23 में इसके पहले के साल की तुलना में 31.29 प्रतिशत कम हुआ है।
फार्मेक्सिल के महानिदेशक उदय भास्कर ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘इस साल के कुछ शुरुआती महीनों में भारत से ईरान को होने वाले दवा निर्यात में 71 प्रतिशत कमी आई है, क्योंकि भारत ने ईरान से तेल खरीदना कम कर दिया है और रुपये में कारोबार प्रभावित हुआ है।’
कारोबार बढ़ाने के लिए फार्मेक्सिल अब ईरान के साथ बातचीत कर रहा है। भास्कर ने तेहरान के खाद्य एवं औषधि प्रशासन के प्रशासन प्रमुख हैदर मोहम्मदी, सिंडिकेट आफ ईरानियन फार्मास्यूटिकल्स इंडस्ट्रीज के बोर्ड के चेयरमैन मोहम्मद अब्देहजादेह के साथ हाल ही में मुलाकात की थी और दोनों देशों के बीच दवा और बायोफार्मास्यूटिकल्स के क्षेत्र में सहयोग के संभावित क्षेत्रों पर चर्चा की थी।
ईरान प्राथमिक रूप से भारत से बल्क ड्रग्स और इंटरमीडिएटरीज का आयात करता है, जबकि वह फार्म्युलेशन के लिए यूरोप के देशों पर निर्भर है।
भारत द्वारा ईरान को किए जाने वाले दवा निर्यात में बल्क ड्रग्स की हिस्सेदारी करीब 65 प्रतिशत है। भारत के दवा निर्यात के लिए पश्चिम एशिया और उत्तरी अफ्रीका के देशों में ईरान महत्त्वपूर्ण बाजार है। मूल्य के हिसाब से अमेरिका (वित्त वर्ष 23 में 8.3 अरब डॉलर) या यूरोप (5 अरब डॉलर) की तुलना में यह छोटा है।
वित्त वर्ष 23 के दौरान ईरान को भारत से 5.914 करोड़ डॉलर के दवा का निर्यात किया गया, जो इसके पहले के वित्त वर्ष के 8.6 करोड़ की तुलना में कम है। वित्त वर्ष 20 में निर्यात 20.51 करोड़ रुपये था। इस साल अप्रैल और अगस्त के बीच निर्यात 80.3 लाख डॉलर है। भास्कर का कहना है कि 2022 में ईरान का औषधि बाजार 2.6 अरब डॉलर का था और डॉलर के हिसाब से 2023 में इसके बाजार के आकार में 6.4 प्रतिशत की गिरावट आई है।
ईरान को निर्यात करने वाले एक दवा निर्यातक ने कहा, ‘ईरान के बाजार में चीन बल्क ड्रग्स के साथ जगह बना रहा है। ईरान को युवान से समर्थन मिल रहा है। चीन ने प्रतिबंध के बाद भी ईरान से सस्ता कच्चा तेल खरीदना जारी रखा है।’
उन्होंने कहा कि भारत तेजी से बाजार के लाभ गंवा रहा है।
सिर्फ दवा ही नहीं, बासमती चावल और चाय का निर्यात भी प्रभावित हुआ है। खबरों के मुताबिक ईरान के आयातक पाकिस्तान, थाईलैंड और तुर्किये से बासमती चावल के आयात का विकल्प तलाश रहे हैं। यूएन कॉमट्रेड के आंकड़ों से पता चलता है कि 2021 में ईरान का चीन, नीदरलैंड और तुर्किये से फॉर्म्युलेशन का आयात क्रमशः 91.1 प्रतिशत, 62.2 प्रतिशत और 205 प्रतिशत बढ़ा है।