facebookmetapixel
Stock Market Today: बाजार में तेजी के संकेत, Infosys बायबैक और IPO पर रहेगी नजर50% अमेरिकी टैरिफ के बाद भारतीय निर्यात संगठनों की RBI से मांग: हमें राहत और बैंकिंग समर्थन की जरूरतआंध्र प्रदेश सरकार ने नेपाल से 144 तेलुगु नागरिकों को विशेष विमान से सुरक्षित भारत लायाभारत ने मॉरीशस को 68 करोड़ डॉलर का पैकेज दिया, हिंद महासागर में रणनीतिक पकड़ मजबूत करने की कोशिशविकसित भारत 2047 के लिए सरकारी बैंक बनाएंगे वैश्विक रणनीति, मंथन सम्मेलन में होगी चर्चाE20 पेट्रोल विवाद पर बोले नितिन गडकरी, पेट्रोलियम लॉबी चला रही है राजनीतिक मुहिमभारत को 2070 तक नेट जीरो हासिल करने के लिए 10 लाख करोड़ डॉलर के निवेश की जरूरत: भूपेंद्र यादवGoogle लाएगा नया फीचर: ग्रामीण और शहरी दर्शकों को दिखेगा अलग-अलग विज्ञापन, ब्रांडों को मिलेगा फायदाअब ALMM योजना के तहत स्वदेशी सोलर सेल, इनगोट और पॉलिसिलिकन पर सरकार का जोर: जोशीRupee vs Dollar: रुपया 88.44 के नए निचले स्तर पर लुढ़का, एशिया की सबसे कमजोर करेंसी बनी

कर घटाने पर कितना ईंधन भरोगे : दिल्ली सरकार

Last Updated- December 05, 2022 | 9:15 PM IST

दिल्ली सरकार ने एयरलाइनों से विस्तार में जानना चाहा है कि विमानों के ईंधन (एटीएफ) पर बिक्री कर घटाने से दिल्ली एयरपोर्ट से कितना ज्यादा ईंधन भरा जा सकता है।


उद्योग के एक सूत्र ने बताया कि एयरलाइनों के प्रतिनिधि पिछले कई दिनों से एटीएफ पर बिक्री कर को 20 प्रतिशत से 4 प्रतिशत करने के आग्रह के साथ सरकार से मिल चुके हैं। अब सरकार उन्हीं से यह पूछ रही है कि दिल्ली एयरपोर्ट पर कितने ईंधन का संग्रह किया जाए ताकि बिक्री कर में कमी करने के बाद भी राजस्व पर कोई प्रभाव न पडे।


देश के कुल घरेलू एयर ट्रैफिक का 25 प्रतिशत दिल्ली से ही संचालित होता है। विमान कंपनियां दिल्ली एयरपोर्ट से करीब 20 प्रतिशत ईंधन भरती हैं। दिल्ली की एक बजट एयरलाइन कंपनी के एक अधिकारी ने बताया कि अगर कर में छूट दी जाती है तो एयरपोर्ट पर ईंधन की खपत में 25 प्रतिशत की वृद्धि हो जाएगी।


 घरेलू उड़ानों के लिए ईंधन और एटीएफ की खपत में वृद्धि होने से एक एयरलाइन के राजस्व में भी बढाेतरी होगी। मिसाल के तौर पर स्पाइस जेट जैसी कंपनियां 2008-09 में ईंधन के मद में 1000 करोड रुपये खर्च करने की योजना बना रही हैं। इनमें से 200 करोड रुपये का ईंधन तो अकेले दिल्ली एयरपोर्ट पर भरा जाएगा।


अगर एटीएफ पर बिक्री कर 20 प्रतिशत से घटा कर इसे 4 प्रतिशत कर दिया जाता है तो इस एयरलाइन को साल में बतौर बिक्री कर मात्र 8 करोड़ रुपये चुकाने होंगे जबकि पुरानी कर व्यवस्था में 40 करोड़ रुपये चुकाने होते हैं।


वर्तमान में एटीएफ के जरिये विमान कंपनियां अपने कुल खर्च का 45 प्रतिशत खर्च करती है। आंध्रप्रदेश और केरल सरकार ने एटीएफ को 4 प्रतिशत कर दिया है। वैसे देशभर में औसतन एटीएफ की दर 30 प्रतिशत है और अगर इसे 4 प्रतिशत कर दिया जाता है तो विमान किराये में भी 10 प्रतिशत की कमी हो सकती है।


एयर इंडिया, स्पाइस जेट, गो एयर और इंडिगो जैसी विमान कंपनियां तो एटीएफ मूल्यों में हुई कमी से फायदा उठाने के लिए हैदराबाद और कोच्चि एयरपोर्ट से इसे खरीदने की सोच रही है।

First Published - April 11, 2008 | 11:10 PM IST

संबंधित पोस्ट