शराब उद्योग चाहता है कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के दायरे में शराब को लाया जाए। हालांकि इससे उद्योग काफी खुश है कि जीएसटी परिषद ने अपने फैसले में शराब को इस्तेमाल होने वाले प्रमुख अवयव एक्सट्रा न्यूट्रल एल्कोहल (ईएनए) को जीएसटी के दायरे से बाहर रखा है।
भारत की एल्कोहलिक बेवरेज कंपनीज के परिसंघ (साआईएबीसी) के महानिदेशक विनोद गिरि के मुताबिक उद्योग आदर्श रूप से सभी तरह की शराब को जीएसटी के दायरे में लाना चाहता है। इससे पूरे देश में शराब पर एकमान कर लगेगा और एक समान ही मूल्य होगा।
हालांकि शराब के अवयवों पर जीएसटी लगाने और उसके अंतिम उत्पाद पर जीएसटी लगाए जाने से उद्योग के लिए दिक्कतें खड़ी हो जाएंगी। उन्होंने इस विरोधाभास के बारे में बताया, ‘लिहाजा जब तक सभी तरह की शराब पर जीएसटी नहीं लगाया जाता है, तब तक हम इसके अवयवों को जीएसटी से बाहर चाहते हैं।’
उन्होंने कहा कि जीएसटी के दायरे से शराब बाहर है। ऐसे में कंपनियों को इनपुट टेक्स क्रेडिट नहीं मिल सकता है। इसका अर्थ यह है कि कच्चे सामान पर अदा किए गए जीएसटी को प्राप्त नहीं कर पाएंगे। इसके अलावा अन्य एफएमसीजी उत्पादों की तरह राज्य सरकार ही शराब का मूल्य तय करती है। इसका अर्थ यह कि कंपनियां स्टैंडर्ड लागत पर बेच नहीं सकती हैं।