सरकार ने गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) के तहत ई-चालान के लिए टर्नओवर सीमा को 20 करोड़ रुपये से घटा कर 10 करोड़ कर दिया है। यह नियम 1 अक्टूबर से लागू होगा और इसका उद्देश्य बड़े लेन-देन का डिजिटलीकरण, बिक्री में पारदर्शिता, गलतियों को कम करना, डेटा प्रविष्टि कार्य को स्वचालित बनाना और उसमें सुधार करना है।
सूत्रों के अनुसार सरकार राजस्व घाटे को कम करने और प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए इसे भविष्य में 5 करोड़ रुपये के कारोबार तक ले जा सकती है। Central Board of Indirect Taxes Customs (CBIC) ने जीएसटी परिषद की सिफारिशों के अनुरूप वर्तमान सीमा में संशोधन करते हुए सोमवार देर रात यह आदेश जारी किया।
बिजनेस स्टैंडर्ड ने 4 जुलाई को चालू वित्त वर्ष में 10 करोड़ रुपये और फिर 5 करोड़ रुपये के कारोबार वाली कंपनियों के लिए जीएसटी ई-चालान अनिवार्य करने की सरकार की योजना के बारे में बताया था। ई-चालान (इलेक्ट्रॉनिक बिलिंग) अक्टूबर 2020 में शुरू हुआ था और 500 करोड़ रुपये और उससे अधिक के कारोबार वाली संस्थाओं के लिए अनिवार्य किया गया था। बिजनेस-टू-बिजनेस (बी2बी) लेनदेन के लिए इस सीमा को घटाकर 100 करोड़ रुपये और बाद में 2021 में 50 करोड़ रुपये कर दिया गया था।
करदाताओं को इसके लिए अपने सिस्टम या बिलिंग सॉफ्टवेयर पर इनवॉइस जेनेरेट करना होगा और फिर उन्हें invoice registration portal (IRP) पर रिपोर्ट करना होगा। इसके लिए input tax credit (ITC) लेने की जरूरत होगी।