सितंबर महीने में वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) संग्रह बढ़कर 1.17 लाख करोड़ रुपये हो गया, जो पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 23 प्रतिशत और कोविड के पहले के वर्ष 2019-20 के समान महीने की तुलना में 27.3 प्रतिशत ज्यादा है।
वित्त मंत्रालय को उम्मीद है कि यह सकारात्मक धारणा जारी रहेगी और वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में ज्यादा राजस्व आएगा। इसमें कहा गया है कि अप्रैल के बाद से पिछले 5 महीने में राजस्व संग्रह में लगातार हो रही बढ़ोतरी से साफ संकेत मिलते हैं कि अर्थव्यवस्था तेजी से पटरी पर आ रही है।
चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में सकल औसत मासिक जीएसटी संग्रह 1.15 लाख करोड़ रुपये रहा है, जो साल की पहली तिमाही में औसत मासिक कर संग्रह 1.10 लाख करोड़ रुपये की तुलना में ज्यादा है।
मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा कि इसके अलावा कर चोरी के खिलाफ गतिविधियों, खासकर फर्जी बिल बनाने वालों के खिलाफ कार्रवाई किए जाने से भी जीएसटी संग्रह बढ़ा है।
लगातार तीसरे महीने जीएसटी संग्रह 1.1 लाख करोड़ रुपये के आंकड़े के पार गया है। अगस्त में 1.12 लाख करोड़ रुपये और जुलाई में 1.16 लाख करोड़ रुपये कर संग्रह हुआ था।
सितंबर, 2019 के 91,916 करोड़ रुपये की तुलना में सितंबर, 2020 में राजस्व में वृद्धि 4 प्रतिशत रही थी।
अर्थशास्त्रियों को उम्मीद है कि त्योहारों के मौसम में यह तेजी जारी रहेगी और इससे सरकार को राजकोषीय घाटा 6.8 प्रतिशत के स्तर पर बनाए रखने में मदद मिलेगी।
ईवाई में टैक्स पार्टनर अभिषेक जैन ने कहा, ‘अर्थव्यवस्था महामारी के निचले स्तर की तुलना में व्यापक तौर पर सामान्य हो चुकी है और जीएसटी संग्रह में भी स्थिरता आ गई है। त्योहारों का मौसम आ रहा है, ऐसे में हम आगामी महीनों में कर संग्रह में तेजी देख सकते हैं।’
डेलॉयट इंडिया में सीनियर डायरेक्टर एमएस मणि ने कहा, ‘जीएसटी संग्रह के आंकड़ों से संकेत मिलता है कि अर्थव्यवस्था में वृद्धि, कर संग्रह में स्थिरता की ओर बढ़ रही है। इससे सरकार को राजकोषीय घाटा जीडीपी के 6.8 प्रतिशत के स्तर पर बनाए रखने में मदद मिलेगी। विनिर्माण करने वाले ज्यादातर राज्यों में पिछले साल की तुलना में 20 प्रतिशत से ज्यादा संग्रह बढ़ा है, जिससे संकेत मिलता है कि आर्थिक बहाली साफतौर पर प्रमुख राज्यों में प्रगति पर है।’
