वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के शुद्ध संग्रह में नवंबर महीने में साल भर पहले के मुकाबले 11.1 प्रतिशत की तेजी देखी गई और रिफंड में काफी कमी रहने के कारण यह बढ़कर 1.63 लाख करोड़ रुपये हो गया। रविवार को सरकार द्वारा जारी किए गए अस्थायी आंकड़ों से इस बात की जानकारी मिली। लेकिन यह आंकड़ा अक्टूबर के 1.68 लाख करोड़ रुपये से कम रहा।
जीएसटी से जुड़े ताजा आंकड़े 21 दिसंबर को होने वाली जीएसटी परिषद की महत्वपूर्ण बैठक से पहले आए हैं। उम्मीद है कि जीएसटी परिषद कुछ अन्य मुद्दों पर विचार करने के साथ ही अप्रत्यक्ष करों में बदलाव करते हुए इन्हें और उचित बनाने पर विचार कर सकती है।
नवंबर महीने में सकल जीएसटी संग्रह 8.5 प्रतिशत बढ़कर 1.8 लाख करोड़ रुपये हो गया। सकल जीएसटी रिफंड की राशि घटाने से पहले की रकम होती है। नवंबर में लगातार 9वें महीने जीएसटी संग्रह 1.7 लाख करोड़ रुपये से अधिक रहा।
नवंबर में देसी कारोबारियों को रिफंड में 19.6 फीसदी कमी आई लेकिन आयात रिफंड (6.8 फीसदी) सहित कुल रिफंड में 8.9 फीसदी की कमी आई और यह 19,259 करोड़ रुपये हो गया। हालांकि अप्रैल-नवंबर की अवधि के दौरान कुल रिफंड में 10.2 फीसदी की तेजी आई और यह 1.7 ट्रिलियन रुपये हो गया।
नवंबर महीने के दौरान घरेलू लेनदेन से मिलने वाला जीएसटी राजस्व 9.4 प्रतिशत बढ़कर 1.40 लाख करोड़ रुपये हो गया। दूसरी ओर आयात पर कर से मिलने वाला राजस्व लगभग 6 प्रतिशत बढ़कर 42,591 करोड़ रुपये हो गया।
विशेषज्ञों को लगता है कि अगले चार महीने में कर संग्रह में मंदी देखी जा सकती है। उनके इस अनुमान की वजह जुलाई से सितंबर के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में वृद्धि के आंकड़े हैं। इनके मुताबिक जीडीपी वृद्धि सात तिमाहियों में कम होकर 5.4 फीसदी रह गई। वैश्विक स्तर पर भू-राजनीतिक परिस्थितियों और ग्राहकों द्वारा खर्च में कटौती के चलते भी लघु अवधि में अर्थव्यवस्था पर दबाव देखा जाएगा।
ईवाई इंडिया के टैक्स पार्टनर सौरभ अग्रवाल कहते हैं, ‘दिल्ली, महाराष्ट्र और कर्नाटक जैसे राज्यों में कर संग्रह में देखी गई तेजी में त्योहारी सीजन का योगदान है। हालांकि त्योहारी सीजन बीतने के बाद अक्टूबर के मुकाबले नवंबर में कर संग्रह में कमी देखी गई।’
अक्टूबर में शुद्ध जीएसटी संग्रह1.68 लाख करोड़ रुपये रहा जो नवंबर से थोड़ा अधिक है। महाराष्ट्र में जीएसटी संग्रह में 17 फीसदी इजाफा देखा गया। इसी तरह कर्नाटक (15 फीसदी), बिहार (12 फीसदी), उत्तराखंड (14 फीसदी) और झारखंड (12 फीसदी) जैसे राज्यों में दो अंकों में जीएसटी संग्रह देखा गया।
दूसरी ओर कुछ बड़े राज्यों में एक अंक की वृद्धि देखी गई जिनमें हरियाणा (2 फीसदी), पंजाब (3 फीसदी), उत्तर प्रदेश (5 फीसदी) और मध्य प्रदेश (5 फीसदी) शामिल हैं। यह काफी चिंताजनक है क्योंकि इसका आर्थिक प्रभाव होगा।
डेलॉयट इंडिया के पार्टनर एम एस मणि का कहना है कि वित्त वर्ष 2025 में 7 प्रतिशत की अनुमानित जीडीपी वृद्धि, मौजूदा वित्त वर्ष के बाकी चार महीने में जीएसटी संग्रह के लिए बेहतर संकेत है।