भारतीय उद्योग परिसंघ का अनुमान है कि भारत की विकास दर 2008-09 के दौरान 8.3 से 8.6 प्रतिशत के बीच बना रहेगी।
उद्योग चैंबर के नव नियुक्त अध्यक्ष के वी कामत ने कहा कि मुद्रास्फीति को लेकर कोई घबराहट नहीं है और हम विकास की गति को बरकरार रखने में सफल रहेंगे।कामत ने कहा, ‘घरेलू अर्थव्यवस्था के लिए वैश्विक मंदी एक बड़ी चुनौती है। लेकिन भारतीय बाजार में अपार संभावनाएं हैं और व्यापक अर्थव्यवस्था की क्षमता हमें 2008-09 में बेहतर परिणाम देगी।’ उन्होंने कहा कि सीआईआई का मानना है कि साल के मध्य में विकास दर 10 प्रतिशत रहेगी।
कामत ने मुद्रास्फीति को प्रमुख चुनौती बताते हुए कहा कि सरकार चिंतित है कि कीमतें उस स्तर पर जा सकती हैं जहां उन पर नियंत्रण मुश्किल हो जाएगा।उन्होंने कहा कि मुद्रास्फीति को लेकर सरकार में घबराहट नहीं है। उन्होंने इस बारे में पूछे जाने पर कहा कि सरकार घबराहट की स्थिति में नहीं है, लेकिन चिंतित है कि मुद्रास्फीति उस स्तर पर जा सकती है जहां उस पर नियंत्रण करना कठिन हो जाए।
कामत ने हालांकि मुद्रास्फीति को लेकर राजनीतिक हाय तौबा से बचने की बात कही और कहा कि विकास परिदृश्य बहुत मजबूत है जो राजनीतिक उठापटक के घेरे में नहीं आएगी। आईसीआईसीआई बैंक के अध्यक्ष कामत ने कहा कि ‘मुद्रास्फीति के घटनाक्रम ने हमें हैरान किया है, शुरू में हमें लगा कि यह सिर्फ बाह्य और खाद्य कीमतों की वजह से है लेकिन पिछले तीन-छह माह में इसमें तेजी आई है।’
मुद्रास्फीति पर नियंत्रण के लिए पहले ही कदम उठाए जाने के बारे में उन्होंने कहा कि पहले बहुत थोड़ा ही किया जा सकता था क्योंकि अधिकतर मुद्रास्फीति बाहरी कारणों की वजह से है।
कामत ने हालांकि विश्वास जताया कि देश की राजनीतिक इच्छाशक्ति इस संकट से निपटने में मददगार होगी। उन्होंने कहा कि मुद्रास्फीति पर नियंत्रण तथा विकास कठिन चुनौतियां हैं जिसका बीड़ा उन्होंने उठाया है। बड़ी अच्छी बात जो मुझे दिखी वो न केवल संसद में बल्कि सभी राजनीतिक दलों में हितों का समन्वय है।