भारत के 8 प्रमुख बुनियादी ढांचा उद्योगों की वृद्धि दर जून में पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 4 फीसदी रही है। औद्योगिक संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (डीपीआईआईटी) द्वारा बुधवार को जारी आंकड़ों से पता चलता है कि जून में वृद्धि की रफ्तार 20 महीने में सबसे सुस्त रही है।
वृद्धि में सुस्ती की प्रमुख वजह उच्च आधार और मॉनसून के कारण बिजली की मांग में कमी है। मई 2024 में वृद्धि 6.4 फीसदी और जून 2023 में 8.4 फीसदी थी।
आठ क्षेत्रों कोयला, स्टील, सीमेंट, उर्वरक, बिजली, प्राकृतिक गैस, रिफाइनरी उत्पाद और कच्चे तेल की देश के कुल औद्योगिक उत्पादन में हिस्सेदारी करीब 40 फीसदी है। ऐसे में औद्योगिक सूचकांक में इनका बड़ा असर होता है।
इक्रा में मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि जून 2024 में प्रमुख क्षेत्र का विस्तार गिरकर 20 माह के निचले स्तर 4 फीसदी पर आ गया है, जिसकी वजह 8 में से 5 क्षेत्रों में आई कमी है। कोयला, उर्वरक और सीमेंट छोड़कर शेष क्षेत्रों में मई महीने की तुलना में गिरावट आई है।
नायर ने कहा, ‘मॉनसून के कारण दो महीने के बाद बिजली क्षेत्र की वृद्धि एक अंक में आ गई हालांकि अभी भी 7.7 फीसदी की मजबूत दर बनी हुई है। प्रमुख क्षेत्र की वृद्धि में गिरावट के साथ अब लगता है कि जून 2024 में आईआईपी वृद्धि 3.5 से 5 फीसदी के बीच रहेगी।’
हालांकि एक साल पहले की समान अवधि की तुलना में देखें तो कच्चे तेल और रिफाइनरी उत्पादों को छोड़कर शेष 6 क्षेत्र में धनात्मक वृद्धि दर्ज की गई है।
बिजली क्षेत्र में ज्यादा मांग के कारण जून में कोयले का उत्पादन 14.8 फीसदी बढ़ा है। बिजली उत्पादन में 7.7 फीसदी वृद्धि हुई है, जो मई के 13.7 फीसदी से कम, लेकिन जून 2023 के 4.2 फीसदी से अधिक है।
उर्वरक, प्राकृतिक गैस, स्टील और सीमेंट का उत्पादन पिछले साल की समान अवधि की तुलना में जून में क्रमशः 2.4 फीसदी, 3.3 फीसदी, 2.7 फीसदी और 1.9 फीसदी बढ़ा है।
बैंक ऑफ बड़ौदा में मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा कि स्टील और सीमेंट के उत्पादन में वृद्धि पर खासकर क्रमशः 21.3 फीसदी और 9.9 फीसदी के उच्च आधार का असर रहा है, क्योंकि चुनाव के दौरान पूंजीगत व्यय स्थिर रहा है। सबनवीस ने कहा, ‘आने वाले महीनों में स्थित बदल जाएगी और इसकी गति बढ़ेगी।’